हँस के गुजार दी कभी रो के गुजार दी
जिंदगी हमने तेरे,होके गुजार दी
तुझको यकीन हो ना हो , लेकिन है सच यही
हमने तो अपनी जिंदगी तुझपर निसार दी
इश्क में तूफ़ान आना, लाज़मी, मालूम था
कश्ती समंदर में तिरे भरोसे उतार दी
चाँद तारों की तमन्ना की नहीं तेरे सिवा
किस्मत, हमारी याद भी, तूने बिसार दी
यूँ तो यकीन पर है ये दुनिया टिकी हुई
वापस यकीन टूट कर, पाई , उधार दी
मुजरिम हुआ हूँ जब से मैं इल्जाम-ए-इश्क का
दुनिया की थोडी लाज थी , वो भी उतार दी
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