कौन है ईश्वर कभी जब सोचता हूँ
स्वयं से ही प्रश्न कितने पूछता हूँ
कौन है सृष्टि को रचता जा रहा है
कौन जो देहों में बसता आ रहा है
किसके आदेशों से पृथ्वी घूमती है
किसके डर से सूर्य तपता आ रहा है
कौन आंधी और तूफां को चलाता
ज्वालामुखी पर्वत को जो पिघला रहा है
कौन सुनता है ह्रदय की चीत्कारें
अपने भक्तों पर कृपा बरसा रहा है।
स्वयं से ही प्रश्न कितने पूछता हूँ
कौन है सृष्टि को रचता जा रहा है
कौन जो देहों में बसता आ रहा है
किसके आदेशों से पृथ्वी घूमती है
किसके डर से सूर्य तपता आ रहा है
कौन आंधी और तूफां को चलाता
ज्वालामुखी पर्वत को जो पिघला रहा है
कौन सुनता है ह्रदय की चीत्कारें
अपने भक्तों पर कृपा बरसा रहा है।