मेरे ख्वाबों को, हकीक़त में बदलने वाले
मेरे हमराज़, मेरे साथ में चलने वाले ।
मेरे ख्वाबों को....................................
हमसफ़र साथ में चलना , ना कहीं खो जाना
मेरे अपने, तू कहीं, गैर नहीं हो जाना
प्यार की लौ में,मेरे साथ में जलने वाले
मेरे ख़्वाबों को......................................
दूर मंजिल है तो क्या, तू है तेरा साथ तो है
मेरे हाथों में मेरे ,दोस्त तेरा हाथ तो है
ठोकरें खा के मेरे साथ, संभलनेवाले
मेरे ख़्वाबों को.....................................
साथ में तू है अगर, मेरे, मुझे क्या गम है
तेरा हमराह हूँ ये , मेरे लिए क्या कम है
मेरे गीतों पे, मेरे साथ, मचलने वाले
मेरे ख़्वाबों को....................................
रचना की तिथि ०८.१२.१९८२
6 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर लिखा है !!!
'दूर मंजिल है तो क्या, तू है तेरा साथ तो है'
- किसी का साथ मिलने से मंजिल आसान हो जाती है.
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अपने ब्लॉग से डैरेक्ट आपको लिंक नही कर पा रहा हूँ इसलिए आपके विशिष्ट रचनाओं से वंचित हो जाता हूँ... बहोत ही सुंदर गीत लिखा है आपने... संभालने को शायद आप संभलने वाले लिखना चाहते है आप...?
आखिरी अन्तर तो कमाल का है ढेरो बधाई आपको....
अर्श
uncle ek baat kahu...
buraa mat maniyega. main to kuchh bhi kehne ke liye aapse umra me bahut chhota hoon. par jo muje laga wo keh raha hoon.
likha to aapne bahut sundar hai par isme wo wali baat nahi hai jo aapki dusri rachnaaon me dikhti hai.
unko padhkar kuchh alag hi ehsaas hota hai. is baar kuchh maza nahi aaya.
aasha karta hoon ki aap muje naadan samajh kar maaf kar denge.
Puneet Sahalot
दूर मंजिल है तो क्या, तू है तेरा साथ तो है
मेरे हाथों में मेरे ,दोस्त तेरा हाथ तो है
ठोकरें खा के मेरे साथ, संभलनेवाले
बहुत खूब..!
sangeeta ji dhanyawaad , aapka mere blog par swaagat hai.
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