सबसे पहले तो मैं उन सभी पाठकों ,चिटठा कारों का धन्यवाद करता हूँ जिन्हें पिछली पोस्ट "बड़ा महत्व है" पसंद आई और उन्होंने उन पर रोचक टिप्पणियाँ दी । यह कविता भी मैंने बैंक की पत्रिका के दिल्ली विशेषांक के लिए लिखी थी कुछ खास नहीं कविता में दिल्ली की सैर है , आशा है आप सभी को पसंद आएगी. कविता लम्बी है धैर्य से पढ़नी होगी। धन्यवाद।
ऐसी दिल्ली और कहाँ
(दिल्ली के सौ वर्ष पूरे होने पर विशेष )
सात बार उजड़ी है सात बार बसी है
सात बार रोई है सात बार हँसी है
देखा है इसने सबका ज़माना
अब भी जो दुनिया में सबसे हसीं है
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिले जहाँ
आओ तुम्हें दिल्ली दिखलाऊं
दिल्ली के दर्शन करवाऊं
कभी नहीं जो सुना ना देखा
उससे परिचय आज कराऊँ
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिले जहाँ
दिल वालों की जान है दिल्ली
भारत की पहचान है दिल्ली
दिल्ली दिल है भारत माँ का
उठता हुआ तूफ़ान है दिल्ली
बड़ी कुतुब की लाट यहाँ है दिल्ली में
देखो दिल्ली हाट यहाँ है दिल्ली में
कुछ खाने की इच्छा है तो , मुंह खोलो
चांदनी चौक की चाट यहाँ है दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशयां मिलें जहाँ
नफरत का दिल्ली में भैय्या काम नहीं
प्रेम से आकर रहो प्रेम का दाम नहीं
ट्रेफिक इतना मानो खाली हो जायेगी
भाग दौड़ में हैं सब, बस आराम नहीं
होटल बाग़ बगीचे मनहर दिल्ली में
बिरला,लोटस, इस्कान मंदर दिल्ली में
अक्षर धाम की छटा निराली
बड़ा सुहाना इसका मंज़र दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिलें जहाँ
मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारों की चर्च की
राजधानी है दिल्ली भारतवर्ष की
राष्ट्र एकता के प्रतीक हैं दिल्ली वाले
कथा है इसकी पतन और उत्कर्ष की
चिडियाघर में चलो घुमाऊं दिल्ली में
किला पुराना भी दिखलाऊं दिल्ली में
और ज़रा सी दूर चलो तो मेरे साथ में
लाल किले की सैर कराऊँ दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिले जहाँ
मेहमान-नवाजी में आगे हैं दिल्ली वाले
कोई आए यार दोस्त जीजा या साले
सबको बांटा प्यार,प्यार लुटाया सबको
जब जब आए दिल्ली में गोरे या काले
राष्ट्रपति का भवन निराला दिल्ली में
मुग़ल गार्डन जिसका आला दिल्ली में
ज्योति अमर जवान जल रही है प्यारी
इंडिया गेट -सा राष्ट्र-शिवाला दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिले जहाँ
दिल्ली की है शान निराली मेट्रो गाड़ी
कभी जमीं में कभी गगन पर करो सवारी
दिल्ली का हर शख्स हुआ दीवाना इसका
सभी चाहते इसको लगती सबको प्यारी
मेलों की भी रौनक अपनी दिल्ली में
पुस्तक मेला ऑटो एक्सपो दिल्ली में
ट्रेड फेयर की धूम है जिसको देखने
पूरे देश से आती जनता दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिले जहाँ
सबको गले से लगाती है दिल्ली
रोटी व् कपड़ा दिलाती है दिल्ली
सभी धर्म के लोग यहाँ रहते मिलकर
छोटा-हिंदुस्तान कहाती है दिल्ली
सारी सुविधा पाती जनता दिल्ली में
बिजली पानी मिले हमेशा दिल्ली में
ब्लू लाइन से बचकर रहना बस भैय्या
हाथ, जान से धो बैठोगे दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिलें जहाँ
कहाँ छोड़ कर जाएँ दिल्ली की गलियां
ये गलियाँ दिल्ली के गुलशन की कलियाँ
ये दिल्ली की गलियाँ हैं सबसे न्यारी
भटक जाएँ हर राही, ये वो भूल भुलैयां
बड़े बड़े हैं मॉल हमारी दिल्ली में
कितने फिल्मी हॉल हमारी दिल्ली में
"बाल भवन "है "नेहरु तारामंडल है
और म्यूज़ियम डॉल हमारी दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिलें जहाँ
जामा मस्जिद , शीश गंज, गौरी शंकर
जैन धर्म का मन्दिर नक्काशी सुंदर
पंछी और परिंदों का है हस्पताल भी
पंछी उड़ जाते जिसमे चंगे होकर
बड़े बड़े हैं कॉलेज अपनी दिल्ली में
आकर ले लो नालेज अपनी दिल्ली में
फ्लाई ओवेर्स को देख के चकरा जाओगे
कई अनोखे हैं ब्रिज अपनी दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिलें जहाँ
२६ जनवरी की परेड है मनभावन
याद शहीदों की करवाती अति पावन
बेमिसाल है परम्परा बीटिंग रिट्रीट की
थल, नभ ,जल की सेना करती अभिवादन
न्यायालय सर्वोच्च देश का दिल्ली में
रिजर्व बैंक सर्वोच्च देश का दिल्ली में
प्राइम मिनिस्टर हॉउस में पतवार देश की
नैय्या पार लगेगी अपनी दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिलें जहाँ
खाने पीने के शौकीन हैं दिल्ली वाले
सच पूछो तो कुछ नमकीन हैं दिल्ली वाले
हल्दीराम और घंटेवाले की मिठाइयाँ
खाते हैं लाइन में लगकर दिल्ली वाले
नेताओं की बनी समाधि दिल्ली में
धूम धाम से होती शादी दिल्ली में
बड़े बड़े हैं हस्पताल जिनमें जाकर
मिट जाती सब आधी-व्याधि दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिलें जहाँ
दिल्ली को दिल से लगाना पड़ेगा
भारत का पेरिस बनाना पड़ेगा
दुनिया के माथे का ताज बनेगी
दिल्ली, तो उसको ज़माना कहेगा
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिलें जहाँ
सात बार रोई है सात बार हँसी है
देखा है इसने सबका ज़माना
अब भी जो दुनिया में सबसे हसीं है
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिले जहाँ
आओ तुम्हें दिल्ली दिखलाऊं
दिल्ली के दर्शन करवाऊं
कभी नहीं जो सुना ना देखा
उससे परिचय आज कराऊँ
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिले जहाँ
दिल वालों की जान है दिल्ली
भारत की पहचान है दिल्ली
दिल्ली दिल है भारत माँ का
उठता हुआ तूफ़ान है दिल्ली
बड़ी कुतुब की लाट यहाँ है दिल्ली में
देखो दिल्ली हाट यहाँ है दिल्ली में
कुछ खाने की इच्छा है तो , मुंह खोलो
चांदनी चौक की चाट यहाँ है दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशयां मिलें जहाँ
नफरत का दिल्ली में भैय्या काम नहीं
प्रेम से आकर रहो प्रेम का दाम नहीं
ट्रेफिक इतना मानो खाली हो जायेगी
भाग दौड़ में हैं सब, बस आराम नहीं
होटल बाग़ बगीचे मनहर दिल्ली में
बिरला,लोटस, इस्कान मंदर दिल्ली में
अक्षर धाम की छटा निराली
बड़ा सुहाना इसका मंज़र दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिलें जहाँ
मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारों की चर्च की
राजधानी है दिल्ली भारतवर्ष की
राष्ट्र एकता के प्रतीक हैं दिल्ली वाले
कथा है इसकी पतन और उत्कर्ष की
चिडियाघर में चलो घुमाऊं दिल्ली में
किला पुराना भी दिखलाऊं दिल्ली में
और ज़रा सी दूर चलो तो मेरे साथ में
लाल किले की सैर कराऊँ दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिले जहाँ
मेहमान-नवाजी में आगे हैं दिल्ली वाले
कोई आए यार दोस्त जीजा या साले
सबको बांटा प्यार,प्यार लुटाया सबको
जब जब आए दिल्ली में गोरे या काले
राष्ट्रपति का भवन निराला दिल्ली में
मुग़ल गार्डन जिसका आला दिल्ली में
ज्योति अमर जवान जल रही है प्यारी
इंडिया गेट -सा राष्ट्र-शिवाला दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिले जहाँ
दिल्ली की है शान निराली मेट्रो गाड़ी
कभी जमीं में कभी गगन पर करो सवारी
दिल्ली का हर शख्स हुआ दीवाना इसका
सभी चाहते इसको लगती सबको प्यारी
मेलों की भी रौनक अपनी दिल्ली में
पुस्तक मेला ऑटो एक्सपो दिल्ली में
ट्रेड फेयर की धूम है जिसको देखने
पूरे देश से आती जनता दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिले जहाँ
सबको गले से लगाती है दिल्ली
रोटी व् कपड़ा दिलाती है दिल्ली
सभी धर्म के लोग यहाँ रहते मिलकर
छोटा-हिंदुस्तान कहाती है दिल्ली
सारी सुविधा पाती जनता दिल्ली में
बिजली पानी मिले हमेशा दिल्ली में
ब्लू लाइन से बचकर रहना बस भैय्या
हाथ, जान से धो बैठोगे दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिलें जहाँ
कहाँ छोड़ कर जाएँ दिल्ली की गलियां
ये गलियाँ दिल्ली के गुलशन की कलियाँ
ये दिल्ली की गलियाँ हैं सबसे न्यारी
भटक जाएँ हर राही, ये वो भूल भुलैयां
बड़े बड़े हैं मॉल हमारी दिल्ली में
कितने फिल्मी हॉल हमारी दिल्ली में
"बाल भवन "है "नेहरु तारामंडल है
और म्यूज़ियम डॉल हमारी दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिलें जहाँ
जामा मस्जिद , शीश गंज, गौरी शंकर
जैन धर्म का मन्दिर नक्काशी सुंदर
पंछी और परिंदों का है हस्पताल भी
पंछी उड़ जाते जिसमे चंगे होकर
बड़े बड़े हैं कॉलेज अपनी दिल्ली में
आकर ले लो नालेज अपनी दिल्ली में
फ्लाई ओवेर्स को देख के चकरा जाओगे
कई अनोखे हैं ब्रिज अपनी दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिलें जहाँ
२६ जनवरी की परेड है मनभावन
याद शहीदों की करवाती अति पावन
बेमिसाल है परम्परा बीटिंग रिट्रीट की
थल, नभ ,जल की सेना करती अभिवादन
न्यायालय सर्वोच्च देश का दिल्ली में
रिजर्व बैंक सर्वोच्च देश का दिल्ली में
प्राइम मिनिस्टर हॉउस में पतवार देश की
नैय्या पार लगेगी अपनी दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिलें जहाँ
खाने पीने के शौकीन हैं दिल्ली वाले
सच पूछो तो कुछ नमकीन हैं दिल्ली वाले
हल्दीराम और घंटेवाले की मिठाइयाँ
खाते हैं लाइन में लगकर दिल्ली वाले
नेताओं की बनी समाधि दिल्ली में
धूम धाम से होती शादी दिल्ली में
बड़े बड़े हैं हस्पताल जिनमें जाकर
मिट जाती सब आधी-व्याधि दिल्ली में
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिलें जहाँ
दिल्ली को दिल से लगाना पड़ेगा
भारत का पेरिस बनाना पड़ेगा
दुनिया के माथे का ताज बनेगी
दिल्ली, तो उसको ज़माना कहेगा
ऐसी दिल्ली और कहाँ
सारी खुशियाँ मिलें जहाँ
13 टिप्पणियां:
WAAH JI WAAH... PURI DELLI KO HI AAPNE SAMET DIYA APNE KAVITA ME... BAHOT KHUB LIKHA HAI HAM TO GHUM LIYE DILLI AAPKE KAVITA SE HI... DHERO BADHAAEE AAPKO.. DILLI GHUMAANE KE LIYE...
ARSH
दिल वालों की जान है दिल्ली
भारत की पहचान है दिल्ली
दिल्ली दिल है भारत माँ का
उठता हुआ तूफ़ान है दिल्ली
aare waah ye dehli ki stuti aur safar dono bha gaye,bahut badhai
क्या बात है सर जी , पूरी दिल्ली घुमा दिया आपने अपनी इस कविता में । एक - एक बात को दिखाया आपने दिल्ली में । सुंदर रच
dilli darshan........aaoki jubaani..
क्या बात है janaab. dilli तो दिल vaali है
ये तो गाईडेड टूर है कि कविता..बहुत बेहतरीन!!
दिल्ली के क्या कहने, महंगी है, सब कहते हैं
आप भी तो कहते हैं दिल्ली की, पर हमें मालूम कि गाजियाबाद रहते हैं
क्या केने क्या केने
दिल्ली की सैर करा दी ...........ये दिल्ली है मेरे यार
दिल्ली का रोचक वर्णन.
Aapki kavita mein dilli ki khoobsoorti dekhte hi banti hai....dilli ghumane ke liye dhanyavaad....aur bahut si badhai....
वाह!bahut ही बढ़िया दिल्ली दर्शन हो गया.
दिल्ली दर्शन काव्य के लिए बधाई!
haan ab appu ghar nahin hai wahana....so yah panktiyan..past mein likhni hongi--appu ghar tha wahan!
ऐसी कविता मैंने श्री भागवत रावत जी की पढ़ी थी....आज उसी की याद आ गयी.....!!बाकि आपकी रचना भी वाकई कुछ है....!!
वाह जी वाह...!! घर बैठे आपने तो दिल्ली की सैर करवा दी ...बहोत खूब ...!!
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