मिले अमावस में, पूनम, तो
"स्वप्न" कोई खंडित क्यूँ होगा
अगर न्याय के नेत्र खुले हों
बेगुनाह दण्डित क्यूँ होगा
अगर धर्म ही नहीं बचेगा
कलयुग में" पंडित" क्यूँ होगा
जनता जाग जाए तो नेता
फिर महिमा-मंडित क्यूँ होगा
संसद "चम्बल" नहीं रहेगी
संसद में "बैंडिट" क्यूँ होगा.
*****************
"पंडित"--ज्ञानी
"स्वप्न" कोई खंडित क्यूँ होगा
अगर न्याय के नेत्र खुले हों
बेगुनाह दण्डित क्यूँ होगा
अगर धर्म ही नहीं बचेगा
कलयुग में" पंडित" क्यूँ होगा
जनता जाग जाए तो नेता
फिर महिमा-मंडित क्यूँ होगा
संसद "चम्बल" नहीं रहेगी
संसद में "बैंडिट" क्यूँ होगा.
*****************
"पंडित"--ज्ञानी
14 टिप्पणियां:
बढ़िया रचना सामयीक लेते हुए है सच्ची बात को कितनी सरलता से लिखा है आपने...
छोटी रचना मगर बहोत खूब...
अर्श
जनता जाग तो नेता
फिर महिमा-मंडित क्यूँ होगा
bahut achhi lagi rachana,badhai
बहुत सुंदर और सही कहा है आपने ....छोटी सी रचना पूरा सार ....अति सुंदर
अगर न्याय के नेत्र खुले हो
बेगुनाह दण्डित क्यों होगा ...
वाह बहुत खूब....!!
बहुत बढ़िया रचना . आभार.
बहुत ख़ूब बातें! शेअर है कि आग है! बस यह पापअप विज्ञापन हटा दें अन्य विज्ञापन लगायें मैं किल्क करूंगा!
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ज्ञान का अपरमपार भण्डार यही हैं!
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चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
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heard that it is much more superior than the Google's indic transliteration...!?
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Jai..HO....
waah waah..hae sher behatareen
"जनता जाग जाए तो नेता
फिर महिमा-मंडित क्यूँ होगा"
bahut hi sahi kaha hai aapne.
par esa kab hoga ye koi nahin jaanta :(
वाह वाह swapan जी ......खूबसूरत अंदाज है आपकी रचना का.
छोटी लेकिन sateek रचना
अगर न्याय के नेत्र खुले हो
बेगुनाह दण्डित क्यों होगा ...
'अगर न्याय के नेत्र खुले हों
बेगुनाह दण्डित क्यूँ होगा
'
-बहुत सही लिखते हैं आप..
सभी दोहे/शेर अच्छे बने हैं वैसे एक और शेर जोड़ कर थोडी हेर फेर कर--यह एक पूरी ग़ज़ल बन सकती है!.
अगर न्याय के नेत्र खुले हो
बेगुनाह दण्डित क्यों होगा ...
इसीलिए तो कहा गया है की कानून अँधा होता है. शिवजी का तीसरा नेत्र जब तक न खुले सबकी पौ - बारह ही है, खुलते ही विध्वंश .
जनता जाग जाये तो नेता
फिर महिमा-मंडित क्यूँ होगा
इसीलिये तो लोकतंत्र को जनता की अदालत कहा गया है, जहाँ जज जनता है और इसी कारण नेत्र बंद रखने पड़ते हैं.
सुन्दर, समयोचित प्रस्तुति पर हार्दिक आभार.
'जनता जाग जाए तो नेता
फिर महिमा-मंडित क्यूँ होगा'
-पता नहीं जनता कब जागेगी .
Too good!!!
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