कौन कहता है मैं कहता हूँ ग़ज़ल
मुझको लगता है ये शब्दों का puzzle
तुमको लगता होगा मुश्किल काम ये
मुझसे गर पूछो तो है बिलकुल सरल
गीत कविता और ग़ज़ल सब एक हैं
दिल अगर श्रोता का जाता है बहल
दर्द का रिश्ता अजब है शायरी से
उम्दा शायर वो जो पीता हो गरल
शायरी जो, झनझना दे दिल के तार
जिसको सुनकर आँख हो जाए सजल
दर्द और आंसू की वर्षा में पकी
मौसमी होती नहीं इसकी फसल
दिल कभी जब प्यार से लबरेज हो
तो बिना मौसम खिले कविता-कमल
जब कभी लिखता हो कुछ कोई कवि
पाप होगा तुमने गर डाला खलल
है दखल इसमें "अकलमंदों" का भी
दूसरों की शायरी करते नक़ल
ये तसव्वुर की करामातें हैं "स्वप्न"
बस ख्यालों में ही बन जाता महल
मुझको लगता है ये शब्दों का puzzle
तुमको लगता होगा मुश्किल काम ये
मुझसे गर पूछो तो है बिलकुल सरल
गीत कविता और ग़ज़ल सब एक हैं
दिल अगर श्रोता का जाता है बहल
दर्द का रिश्ता अजब है शायरी से
उम्दा शायर वो जो पीता हो गरल
शायरी जो, झनझना दे दिल के तार
जिसको सुनकर आँख हो जाए सजल
दर्द और आंसू की वर्षा में पकी
मौसमी होती नहीं इसकी फसल
दिल कभी जब प्यार से लबरेज हो
तो बिना मौसम खिले कविता-कमल
जब कभी लिखता हो कुछ कोई कवि
पाप होगा तुमने गर डाला खलल
है दखल इसमें "अकलमंदों" का भी
दूसरों की शायरी करते नक़ल
ये तसव्वुर की करामातें हैं "स्वप्न"
बस ख्यालों में ही बन जाता महल
22 टिप्पणियां:
बने खयालों में महल यही स्वप्न की चाह।
गहरी चाहत हो अगर मिल जाती है राह।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
आपकी ये ग़ज़ल है तो वाकई बहुत सरल,
पर पढ़ने में कठिन है क्योंकि रंग नीला है गरल!
पृष्ठभूमि के लिए कोई फीका रंग चुनें तो पढ़ने में आसानी हो.
मिल जाती जब राह, मंजिलें सरल हुआ करतीं हैं।
बिना चाह के राह, बहुत ही गरल हुआ करतीं हैं।।
भई खूब कहा है,बहुत ही बढ़िया।
बातों ही बातों में लाजवाब ग़ज़ल लिख दी स्वपन जी.............कमाल है आपका
kya baat hai.......shandaar,kamaal hai.
शब्दों का puzzle
गीत कविता और ग़ज़ल सब एक हैं
दिल अगर श्रोता का जाता है बहल
दर्द और आंसू की वर्षा में पकी
मौसमी होती नहीं इसकी फसल
दिल कभी जब प्यार से लबरेज हो
तो बिना मौसम खिले कविता-कमल
जब कभी लिखता हो कुछ कोई कवि
पाप होगा तुमने गर डाला खलल
वल्लाह क्या दिलकश हैं ये शेर तुम्हारे
भीग रहे हैं लवो दिलजान हमारे
पानी पे है लकीर का तूफ़ान जरा सा
अब घिर भी आये जोर से घनघोर घटा रे
शेर है हर एक बा कमाले लाजवाब
रह जाती है ठहर के दीवानी निगह रे
IS RUMAANI TEWAR KE KYA KAHANE .... HAR ROJ EK NAYAA CHEHRAA DEKHNE KO MIL RAHAA HAI MAJAA AAGAYA IS ME BHI
DHERO BADHAAYEE
ARSH
हमने कभी नहीं कहा, इसलिये हमारे उपर इल्जाम न आये. :)
बेहतरीन प्रयोग.
behad baDhiya khyaalaat hain
स्वप्न जी,
काव्य प्रेम कोई आप से सीखे...
bahut hi sunder gajal hai sir
subah ko sham or sham ko savera nahi likhte ....aap gajal likhte hai koi kasida nahi likhte
Khayalon mehee gar kuchh banana ho to, pulaav se mehel kyon na banayen?
Khair..aapki rachnayen, jaisebhi, aap likhen, padhneme behad achhee lagtee hain, isme koyi shak nahee !
Aur Gafil ji to pehlese maujood hain...bichhme zara "Gaafil" ho gaye the...kaheen kho gaye the..!
Unki dee tippaniyan maine pehlebhi apne 'kavita' blogpe dalneki jurrat kee hai!
Aapke blogpe aatehi kayi saare links mil jaate hain, jinhen mai padhna chahti hun!
snehadar sahit
Shama
sunder abhiwyakti......
आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
आपकी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई! माशाल्लाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने!
ham jeson ke liye ye rachna skoon dene vali hai kyonki hame gazal likhni to aati nahin is liye apki bat se jara rahat mil gayee
वाह...
अच्छी नज़्म ....!!
सरल ,सहज भाषा में ....आपने जता दिया कविता किस प्रकार कवि ह्रदय में अपने आप जन्म लेती है ....बहुत खूब ....!!
hamesha ki tarah shaandaar .baki baaten sabne kah di .
मैं कहता हूँ आप लिखते हैं ग़ज़ल.
भावों और शब्दों से बनाते हैं सरल.
सुन्दर रचना के लिए बधाई.
शायरी जो झनझना दे दिल के तार
जिसको सुन कर आँख हो जाये सजल
सच कहा है आपने ....
लिखना , कहना , प्रस्तुत करना ...
बस वोही अच्छा होता है
जो पढने वाले को , सुनने वाले को
अछि लगे , मन भाये
बधाई स्वीकारें
---मुफलिस---
सुन्दर रचना के लिए बधाई
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