अब तो अपने भारत का भी , दुनिया लोहा मान रही है
नई नज़र से नए सिरे से , भारत को पहचान रही है
लाखों दाग चाँद में लेकिन, चाँद अभी भी क्यूँ भाता है
सबको ललक उसे पाने की, हर कोई क्यूँ अपनाता है
ऐसी हस्ती, ऐसी शक्ति, अब सबका अरमान रही है
अब तो अपने भारत का..........................................
देता आया अब तक सब को, अब भी देना है जारी
भारत से भारत-रस लेना , दुनिया की है लाचारी
गुरु था वो, गुरुतम अब होगा, भारत की जो शान रही है
अब तो अपने भारत का........................................
अब सम्रद्ध देश है अपना, नित नूतन हैं अभिलाषा
आसमान छू लेगा एक दिन, हमको है पूरी आशा
भारत माता सोने की, चिडिया बनने की ठान रही है।
अब तो अपने भारत का ......................................
20 टिप्पणियां:
BAHOT HI PYARI KAVITA HAI KHUB RAMAANE WAALI AUR JHUMAANE WAALI... BAHOT BADHIYAA LAGEE YE KAVITAA DHERO BADHAAYEE ISKE LIYE
ARSH
एक अच्छी भावना के साथ एक बहुत ही खुब्सूरत रचना .......जिसके लिये बहुत बहुत आभार
बहुत बढिया रचना है।बधाई।
वाह स्वपन जी.......सचमुच अपना देश निराला है.......... चाँद से भी बढ़ कर .............जो सब को देता ही है.............. ज्ञान, प्रेम और संस्कृति का सन्देश...........
भारत से भारत-रस लेना , दुनिया की है लाचारी
सरल और सहज राष्ट्रभक्ति गीत की रचना के लिए बधाई
bahut acchi kavita hai ....
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ कि आपको मेरी शायरी पसंद आई!
आपने बहुत ही सुंदर कविता लिखा है! बहुत बढ़िया लगा!
योगेश जी
यह बहुत ही प्यारी कविता है......
भारत सोने की चिड़िया बने, आपकी यह शुभकामना हकीकत बने। पर उन गिद्धों का क्या करेंगे, जो इस चिड़िया पर घात लगाये बैठे हैं।
समृद्ध रचना के लिये साधुवाद ---
देता आया अब तक सब को, अब भी देना है जारी
सही कहा है
बधाई
बहुत अच्छी रचना के लिये बधाई
rashtrabhakti se ot-prot rachan.....bahut badhiya
बहुत सुंदर योगेश जी...
बहुत सुंदर बन पड़ा है!
स्वप्न जी
बहुत अच्छी रचना की बधाई
SWAPN JI,
bahut hi sundar bhavpoorn hai. Bharat ke samman mein aap ki yah kavita sachmuch sarahneey hai dil se badhaai.
देता आया अब तक सब को,
अब भी देना है जारी
भारत से भारत-रस लेना ,
दुनिया की है लाचारी
गुरु था वो,गुरुतम अब होगा,
भारत की जो शान रही है
bharat maata par likha ye geet aaj man ko chu gaya.... ek sakaratmak disha di aapne
maine to gaaya abhi aapka poora geet....mazaa aaya bahut(haalanki main achha nahi gaata)....sahmesha ki tarah bahut achha likha hai aapne
अब सम्रद्ध देश है अपना, नित नूतन हैं अभिलाषा
आसमान छू लेगा एक दिन, हमको है पूरी आशा-
देश प्रेम से भरी यह कविता आशाएं जगाती है.अपना यह देश फिर से सोने की चिडिया कहलाये .
सुन्दर रचना.
laajavab ..sabka man harshane vala
umda swapan ji .tirange ka sammaan ,bhartiye hone ka abhimaan mere jahan me barabar bana rahata hai .jai hind .yahi prem sachchaa hai .bharat hamko jaan se pyara hai .
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