उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

शनिवार, 21 नवंबर 2009

पिघला दें ना ह्रदय तुम्हारा

 प्रस्तुत है कई वर्ष पहले लिखी एक रचना. जो मुझ बहुत पसंद है , शायद आपको भी पसंद आये.

पिघला दें ना ह्रदय तुम्हारा


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पिघला दें ना ह्रदय तुम्हारा , जब तक मेरे नगमे गीत
तब तक चैन नहीं पाऊंगा, मेरे रूठे बिछुड़े मीत
पिघला दें ना ह्रदय तुम्हारा तुम्हारा........................
.

जब तक मेरे गीत तुम्हें, मेरे द्वारे तक ना लायें
चारों और तुम्हारे , मेरे गीतों के होंगे  साए
एक दिन तो पहचानोगे तुम, एक पागल की पागल प्रीत
पिघला दें ना ह्रदय तुम्हारा तुम्हारा...........................

सपनों में भी गीत सुनाकर, तुम्हें नहीं सोने दूंगा
जनम जनम के साथी को क्या, ऐसे ही खोने दूंगा
हार के दिल आ जाओगे जब, होगी वही तुम्हारी जीत
पिघला दें ना ह्रदय तुम्हारा तुम्हारा............................

कृष्ण सरीखा आकर्षण  तो, नहीं है मुझमें, गीतों में,
राधा- सी आ जाओ पर तुम , क्या रक्खा है रीतों में
सपना हो जाएगा पूरा, गीतों का पाकर संगीत
पिघला दें ना ह्रदय तुम्हारा तुम्हारा............................

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14 टिप्‍पणियां:

mehek ने कहा…

जब तक मेरे गीत तुम्हें, मेरे द्वारे तक ना लायें
चारों और तुम्हारे , मेरे गीतों के होंगे साए
एक दिन तो पहचानोगे तुम, एक पागल की पागल प्रीत behad khubsurat geet,madhurim madhurim

अजय कुमार ने कहा…

बहुत पुराना गीत याद आ गया,जिसे गोरखपुर के तत्कालीन कमिश्नर श्री रमेश चन्द ने लिखा था और आवाज दी थी श्री राहत अली और गायिका का नाम याद नही आ रहा है-
’मुझे बांध ले लछमन रेखा
पर उसको कर के अंदेखा
मेरे गीत तुम्हारे घर तक ,पंख लगा कर उड जायेंगे"
बहुत अच्छा लिखा आपने

Alpana Verma ने कहा…

'कृष्ण सरीखा आकर्षण तो, नहीं है मुझमें, गीतों में,
राधा- सी आ जाओ पर तुम , क्या रक्खा है रीतों में
सपना हो जाएगा पूरा, गीतों का पाकर संगीत'

waah, ati sundar bhaav!
बहुत ही सुंदर ,प्यार और मनुहार भरा -एक ज़िद्द bhee लिए है रूठी प्रियतमा को मनाने की .

ALOK PURANIK ने कहा…

वाह वाह क्या बात है।

M VERMA ने कहा…

योगेश जी
बहुत ही सुन्दर रचना
बेहतरीन

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

कृष्ण सरीखा आकर्षण तो, नहीं है मुझमें, गीतों में,
राधा- सी आ जाओ पर तुम , क्या रक्खा है रीतों में
सपना हो जाएगा पूरा, गीतों का पाकर संगीत
पिघला दें ना ह्रदय तुम्हारा तुम्हारा............................

बहुत सुन्दर भजन है!

"अर्श" ने कहा…

kya baat hai bahut hi khubsurat geet padhane ko milaa .... behad khubsurat bhav se labrej ... bahut bahut badhaayeee


arsh

ज्योति सिंह ने कहा…

कृष्ण सरीखा आकर्षण तो, नहीं है मुझमें, गीतों में,
राधा- सी आ जाओ पर तुम , क्या रक्खा है रीतों में
सपना हो जाएगा पूरा, गीतों का पाकर संगीत
पिघला दें ना ह्रदय तुम्हारा
bahut sundar bhav ko liye huye aapki ye rachna hai yogesh ji

दिगम्बर नासवा ने कहा…

'कृष्ण सरीखा आकर्षण तो, नहीं है मुझमें, गीतों में,
राधा- सी आ जाओ पर तुम , क्या रक्खा है रीतों में ...

VAAH KAMAAL KA LIKHA HAI ...SACH MEIN DIL MEIN UTARTA HUVA ...

vandana gupta ने कहा…

कृष्ण सरीखा आकर्षण तो, नहीं है मुझमें, गीतों में,
राधा- सी आ जाओ पर तुम , क्या रक्खा है रीतों में
सपना हो जाएगा पूरा, गीतों का पाकर संगीत
पिघला दें ना ह्रदय तुम्हारा

bahut hi sundar aur bhavpoorna rachna..........badhayi

Prem Farukhabadi ने कहा…

aapki ibaadat poori hogi. Yogesh bhai
ibaadat karne se hi 50% poori ho jati aur kabool hone par 100%.mere hisaab se ibaadat mein koi kami aapne nahin chhodi apne baaki kabool karne vaale ke oopar chhod do. badhaai!!

Yogendramani ने कहा…

राधा सी आ जाओ तुम क्या रक्खा है रीतों में......
बहुत खूब लिखा है आपने......!!!!

निर्मला कपिला ने कहा…

'कृष्ण सरीखा आकर्षण तो, नहीं है मुझमें, गीतों में,
राधा- सी आ जाओ पर तुम , क्या रक्खा है रीतों में ...
वाह क्या लाजवाब अभिव्यक्ति है बधाई

kshama ने कहा…

Behad sureela geet hai..rhiday waqayi pighla diya...man karta hai, is geetko gaake sunu!