छिपा हुआ जो एक गुण , सिर्फ उसी को देख
झूठे धोखेबाज़ को, लानत औ धिक्कार
लेनदार होवें खड़े,आकर जिसके द्वार
कसमें खा , फिर जाए जो, कितना है वो नीच
करिए चौराहे उसे, नंगा सबके बीच
जो दाता के नाम पर, धोखा देता जाए
निश्चय ही खा जायेगी ,उसको सबकी हाय
सबका पैसा ऐंठ कर, ठाठ करे जो खूब
एक दिन ऐसा आएगा, घास पाए ना दूब
बार बार खाता कसम , नहीं करेगा पाप
सत्यनारायण कथा-सम,उसे मिलेगा शाप
लेना लेना आ गया , देना भी तो सीख
दिया नहीं, परलोक में, तुझे मिले ना भीख
कीमत हर इंसान की ,पैसे से ना तोल
धर्म और ईमान ही, दुनिया में अनमोल
कमियाँ हर इंसान में , होती सदा अनेक
छिपा हुआ जो एक गुण , सिर्फ उसी को देख
घुमा फिरा कर बात सब ,धर्म कह रहे एक
छोड़ कपट छल छिद्र को , बन्दे बन जा नेक
शीशा होता साफ़ जब, तभी दिखे तस्वीर
मन का शीशा साफ़ कर , मन में ही " रघुबीर"
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19 टिप्पणियां:
जो दाता के नाम पर, धोखा देता जाए
निश्चय ही खा जायेगी ,उसको सबकी हाय
शीशा होता साफ़ जब, तभी दिखे तस्वीर
मन का शीशा साफ़ कर , मन में ही " रघुबीर"
bahut hi sundar bhavon se sajayi huyi rachna ......ek sikh deti huyi.
achhi baten kahi hai aapne...
arsh
कीमत हर इंसान की ,पैसे से ना तोल
धर्म और ईमान ही, दुनिया में अनमोल...
सच कहा स्वपन जी ......... बहुत अच्छे दोहे हैं ... नयी सीख देते .........
सीख देती हुई रचना.
शिक्षा प्रद दोहे, सभी श्रेष्ठ और सच
सभी दोहे बहुत सुन्दर है जी!
sundar dohe aapake, kitane nek vichar.
isee tarah rachate rahe, bhavon ka sansaar.
swapn sada ham dekhate, nek bane insaan.
sarjak hi kartaa sadaa, isame kuchh avadaan.
har dohe hai aapke, pyare, sundar fool.
aise foolon se sadaa, mite moorhataa-shool.
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badhaai.. isee tarah likhate rahen..
शानदार दोहे!! अच्छे लगे!
हर एक पँक्ति लाजवाब है बधाई
स्वप्न जी, दोहे बहुत ही अच्छे है...बधाई......
स्वप्न जी, दोहे बहुत ही अच्छे है...बधाई......
har doha jeevan ke satay sikhata hua
नमस्कार योगेश जी. आपके ब्लॉग पर प्रथम बार मेरा आगमन हुआ है. आपके बारे में जानने का सौभाग्य मुझे अपने बाल सखा श्री पवन कुमार जी के सौजन्य से प्राप्त हुआ है. आपकी कविताओ ने मुझे निश्चय ही प्रभावित किया है. हालांकि में साहित्य जगत का प्राणी नहीं हूँ किन्तु मुझे आप जैसे उभरते नए ज़माने के लेखको की रचनाये पढने का बेहद शौक है. मेरी ओर से आपको ढेरो शुभकामनाए .
दोहों के मूल स्वभाव के साथ पूरा न्याय किया आप ने. संतों ने अपने समय में इन्हीं दोहों से नीति के उपदेश दिए थे. आपने वर्तमान में 'चौराहे पर नंगा' करने की बात कह के 'शठे शाठ्यम समाचरेत' वाला मुहावरा जीवंत कर दिया.
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति !!!
वाह बहुत शानदार.
स्वप्न जी ..आपके दोहे दिखने में छोटे हेँ लेकिन रहीम की तरह मारक ...बड़े सन्देश देने वाले औए अर्थपरक भी
शीशा होता साफ जब ,अभी दिखे तस्वीर ,मन का शीशा साफकर ,मन में ही रघुवीर ....पंक्तियों के साथ सभी कुछ अच्छा लगा बधाई
बहुत सुंदर.
बहुत अच्छे लगे !!
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