तुम ना आए ,जाने वाले , दे के तन्हाई
तुम्हारी याद क्यों आई , तुम्हारी याद क्यों आई
हम भुला बैठे थे अपनी, जिंदगी के गुज़रे दिन
रात जब काटी थी हमने, बिरहा में तारों को गिन
हाय , कैसी चल पड़ी ये, आज पुरवाई
तुम्हारी याद क्यों आई, तुम्हारी याद क्यों आई
तुम ना आए....................................................
क्यों पुराने ज़ख्म ताज़ा ,होके तड़पाने लगे
प्यार के नगमे सभी, ये लोग क्यूँ गाने लगे
इश्क की ये आग किसने,फिर से सुलगाई
तुम्हारी याद क्यों आई, तुम्हारी याद क्यों आई
तुम ना आए...................................................
क्यों वही अरमां, वही फिर, ख्वाब ,क्यूँ आने लगे
दिल के टुकड़े-टुकड़े कैसे, दिल को धड़काने लगे
फिर वही मौसम, वही फिर से घटा छाई
तुम्हारी याद क्यों आई, तुम्हारी याद क्यों आई,
तुम न आए...................................................
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तुम्हारी याद क्यों आई , तुम्हारी याद क्यों आई
हम भुला बैठे थे अपनी, जिंदगी के गुज़रे दिन
रात जब काटी थी हमने, बिरहा में तारों को गिन
हाय , कैसी चल पड़ी ये, आज पुरवाई
तुम्हारी याद क्यों आई, तुम्हारी याद क्यों आई
तुम ना आए....................................................
क्यों पुराने ज़ख्म ताज़ा ,होके तड़पाने लगे
प्यार के नगमे सभी, ये लोग क्यूँ गाने लगे
इश्क की ये आग किसने,फिर से सुलगाई
तुम्हारी याद क्यों आई, तुम्हारी याद क्यों आई
तुम ना आए...................................................
क्यों वही अरमां, वही फिर, ख्वाब ,क्यूँ आने लगे
दिल के टुकड़े-टुकड़े कैसे, दिल को धड़काने लगे
फिर वही मौसम, वही फिर से घटा छाई
तुम्हारी याद क्यों आई, तुम्हारी याद क्यों आई,
तुम न आए...................................................
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4 टिप्पणियां:
वाह स्वप्न जी क्या बात है!
बहुत बेहतरीन!!
बहुत खूब लिखा है.............
गीत जैसे गुनगुनाया जा सकता है
bahut hi khubsurat geet hai...saral shbdon mein abhivyati pasand aayi.
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