मोहन मोहिनी मूरत मुझे, दिखाकर मुझसे दूर ना जा
मनोहारिणी मुरली मधुर , सुनाकर मुझसे दूर ना जा
तड़पता मुझको यूँ ना छोड़
मुखडा मुझसे यूँ ना मोड़
नाता मुझसे यूँ ना तोड़
हाथ रही तेरे आगे जोड़
मनभावन मधुकर मन मेरा , चुरा कर मुझसे दूर ना जा
मोहन मोहिनी मूरत मुझे..........................................
मन में मुझे बसा लो तुम
जग से मुझे छुडा लो तुम
अपने गले नहीं तो नाथ
अपनी शरण लगा लो तुम
मनमोहन मतवाली मुझे, बना कर मुझसे दूर ना जा
मोहन मोहिनी मूरत मुझे........................................
जनम जनम की दासी हूँ,
प्रेम -सुधा की प्यासी हूँ
मीरा-सी तो मान ले मोहन
बेशक ना राधा-सी हूँ
माधव मेरी मंजिल मुझे , दिखाकर मुझसे दूर ना जा
मोहन मोहिनी मूरत मुझे........................................
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मनोहारिणी मुरली मधुर , सुनाकर मुझसे दूर ना जा
तड़पता मुझको यूँ ना छोड़
मुखडा मुझसे यूँ ना मोड़
नाता मुझसे यूँ ना तोड़
हाथ रही तेरे आगे जोड़
मनभावन मधुकर मन मेरा , चुरा कर मुझसे दूर ना जा
मोहन मोहिनी मूरत मुझे..........................................
मन में मुझे बसा लो तुम
जग से मुझे छुडा लो तुम
अपने गले नहीं तो नाथ
अपनी शरण लगा लो तुम
मनमोहन मतवाली मुझे, बना कर मुझसे दूर ना जा
मोहन मोहिनी मूरत मुझे........................................
जनम जनम की दासी हूँ,
प्रेम -सुधा की प्यासी हूँ
मीरा-सी तो मान ले मोहन
बेशक ना राधा-सी हूँ
माधव मेरी मंजिल मुझे , दिखाकर मुझसे दूर ना जा
मोहन मोहिनी मूरत मुझे........................................
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11 टिप्पणियां:
मोहन मोहिनी मूरत मुझे, दिखाकर मुझसे दूर ना जा
मनोहारिणी मुरली मधुर , सुनाकर मुझसे दूर ना जा
-अति भावपूर्ण.
waah krishna si khubsurat kavita,bahut badhai
जनम जनम की दासी हूँ,
प्रेम -सुधा की प्यासी हूँ
मीरा-सी तो मान ले मोहन
बेशक ना राधा-सी हूँ
माधव मेरी मंजिल मुझे , दिखाकर मुझसे दूर ना जा
मोहन मोहिनी मूरत मुझे........................................
Ati sundar
Chintan men Darshan hai
badhai
सुंदर शब्द-चित्र के बधाई स्वीकारें कविवर...
bahut hi achhi, sundar, bhaavpurna rachna.
:)
बहुत ही भाव पूर्ण लिखा है स्वपन जी...........
आनंद आ गया
Swapn ji sabse pehle aapko itane yogya putra ki Bdhai....! Rachna bhi bhot acchi lagi khas kr ye paktiyan....
जनम जनम की दासी हूँ,
प्रेम -सुधा की प्यासी हूँ
मीरा-सी तो मान ले मोहन
बेशक ना राधा-सी हूँ
माधव मेरी मंजिल मुझे , दिखाकर मुझसे दूर ना जा
मोहन मोहिनी मूरत मुझे........................................
बहोत खूब बहोत ही मनभावन भजन,शब्दों की शुद्धता इसे और भी निखर दे रही है.दाद के काबिल नही ये तो गुनगुनाने के लायक है मैं तो वही कर रहा हूँ ... बहोत ही बढ़िया लिखा है आपने वाह आपके बेहतरीन रचनावों मेरे से एक होनी चाहिए ... बेहद खूब...
ढेरो बधाई कुबूल करें ,अब तो करना ही होगा ..
आपका
अर्श
सुंदर रचना.
jo har pal dil mein basta hai
naino ki koron mein seep ki tarah palta hai
wo gar chodna bhi chahe to
kya kabhi hamein chod sakta hai
mohan to sirf mera hai
main mohan ki dasi hun
kya kahun , bahut kuch kehna chahti hun magar.............jitna kaho kam hai.
aapki rachna ne soye huye taron ko jhankrit kar diya.
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