अब तो हमने, चाँद अपना कर लिया
हाँ, हकीकत ,एक सपना कर लिया
अब गुलों पर राज अपना हो गया
सारा गुलशन खुशबुओं से भर लिया
अब किराये के बचेंगे कुछ रूपये
ये खुशी है जब से अपना घर लिया
उस रोज़ से कीमत हमारी ना रही
जब से पत्नी ने हमें आ वर लिया
तुम सलीबों पर चढोगे सोच लो
नाम तुमने प्यार का , भी गर लिया
ढाई अक्षर प्रेम का जिसने जिया
मोक्ष पाया उसने तो, वो तर लिया
*
वो मोहल्ले भर का नेता हो गया
जब से उसने हाथ में खंज़र लिया
हो गई मशहूर उसकी वो ग़ज़ल
जिसमें उसने प्यार का मंज़र लिया
दाने दाने को हुआ मोहताज़ वो
जब से उसने खेत वो बंज़र लिया
असलियत उसकी मुकाबिल आ गई
जैसे उसने पैग एक अन्दर लिया
परदेस में बेशक वो जाकर बस गए
नाम अपने देश का जमकर किया (लिया)
*************************
हाँ, हकीकत ,एक सपना कर लिया
अब गुलों पर राज अपना हो गया
सारा गुलशन खुशबुओं से भर लिया
अब किराये के बचेंगे कुछ रूपये
ये खुशी है जब से अपना घर लिया
उस रोज़ से कीमत हमारी ना रही
जब से पत्नी ने हमें आ वर लिया
तुम सलीबों पर चढोगे सोच लो
नाम तुमने प्यार का , भी गर लिया
ढाई अक्षर प्रेम का जिसने जिया
मोक्ष पाया उसने तो, वो तर लिया
*
वो मोहल्ले भर का नेता हो गया
जब से उसने हाथ में खंज़र लिया
हो गई मशहूर उसकी वो ग़ज़ल
जिसमें उसने प्यार का मंज़र लिया
दाने दाने को हुआ मोहताज़ वो
जब से उसने खेत वो बंज़र लिया
असलियत उसकी मुकाबिल आ गई
जैसे उसने पैग एक अन्दर लिया
परदेस में बेशक वो जाकर बस गए
नाम अपने देश का जमकर किया (लिया)
*************************
9 टिप्पणियां:
वाह जी वाह खूब कही आपने भी हर शे'र काबिले गौर है...
दाने दाने को हुआ मोहताज वो... क्या बात कही है आपने... बहोत खूब... शे'र-इ-अंजुमन में मज़ा आगया ... ढेरो बढ़ाई आपको... कबूल करें...
अर्श
होली मुबारक...
achhi rachna ke liye badhai...
उस रोज से कीमत हमारी ना रही
जब से पत्नी ने हमें आ वर लिया
आपने तो हर पति की व्यथा कह दी इन दो लाईनों में...बहुत ही अच्छी रचना...वाह.
नीरज
अब गुलों पर राज अपना हो गया
सारा गुलशन खुशबुओं से भर लिया
....वाह.अच्छा लिखा है आपने.बधाई.
waah.. uncle..
ye to sabse alag rachna rahi aapki..
bahut hi khoob... :)
बहुत खूब , लाजवाब । आनंदित हो गये हमको पढ़कर । बधाई
अब तो हमने, चाँद अपना कर लिया
हाँ, हकीकत ,एक सपना कर लिया
तुम सलीबों पर चढोगे सोच लो
नाम तुमने प्यार का , भी गर लिया
dil ko chhune wali panktiyaan.
khali panne
वो मोहल्ले भर का नेता हो गया
जब से उसने हाथ में खंज़र लिया
दाने दाने को हुआ मोहताज़ वो
जब से उसने खेत वो बंज़र लिया
swapan जी
खूबसूरत रचना है...हर शेर काबिले गौर... बधाई.
देर से पहुँचने के लिए माफ़ी..
योगेश जी,
बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल लिखी है आप ने...सभी शेर अच्छे लगे..ये दो कुछ खास तव्वोजोह मांग रहे हैं.
हो गई मशहूर उसकी वो ग़ज़ल
जिसमें उसने प्यार का मंज़र लिया
तुम सलीबों पर चढोगे सोच लो
नाम तुमने प्यार का , भी गर लिया
-बधाई.
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