उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

शुक्रवार, 27 मार्च 2009

जाम क्या पीते................

जाम क्या पीते, जमानत जब्त है
राजनीती चीज़ क्या कमबख्त है

चाल ना कोई चली चालाक की
सुनते हैं इस बार जनता सख्त है

"हार" कोई ना मिला , बैठे हैं हार
ये मुआ चुनाव ही बेवक्त है

ईंट मिली रोड़ा , कैसे जोड़ते
हर किसी का ताज , अपना तख्त है

लग गया था उसके मुंह मानव लहू
देख सारा जिस्म ही आरक्त है

चल पड़े हैं हज को सब से कह दिया
छोड़ कर संसार को, विरक्त हैं

अब उसे कुर्सी ना कोई चाहिए
प्रजा का सेवक, वो देश- भक्त है


*******************

उपरोक्त कविता में "हार " मतलब फूलों की माला, और दूसरी हार का मतलब पराजय है।
"ईंट मिली न रोड़ा" में मुहावरा "ईंट मिली न रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा"
"चल पड़े हैं हज को" में मुहावरा " सौ सौ चूहे खाके बिल्ली हज को चली" का प्रयोग है.
"आरक्त" मतलब खून से सना, खून में डूब, लाल रंग

15 टिप्‍पणियां:

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

बढ़िया रचना . बधाई
नवरात्र पर्व की शुभकामना

ओम आर्य ने कहा…

सही कटाक्ष है !!!

Unknown ने कहा…

सर जी चुनावी खुमार में नहायी हुई कविता बेहद रोचक लगी ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

चाल ना कोई चली चालाक की
सुनते हैं इस बार जनता सख्त है

नेता जो का दर्द नज़र आ जाता है इसमें
बूट खूब स्वपन जी

"अर्श" ने कहा…

वाह जी वाह समसामयीक पे आपका ये ब्यंग
कमाल का है,बहोत ही बढ़िया तरीके से मारा है आपने..

ढेरो बधाई
अर्श

Alpana Verma ने कहा…

ईंट मिली न रोड़ा , कैसे जोड़ते
हर किसी का ताज , अपना तख्त है
+
चल पड़े हैं हज को सब से कह दिया
छोड़ कर संसार को, विरक्त हैं


कविता पर भी चुनावी माहोल का असर है!
बहुत करार व्यंग्य किया है.

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

वाह अच्छी रचना के लिये बधाई स्वीकार करें

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

जाम क्या पीते जमानत जब्त है
राजनीती चीज़ क्या कमबख्त है

जी वाह...!! बहोत सुन्दर ...!!.

चुनावी खुमार में सराबोर ...!!

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

सही कटाक्ष नहायी हुई कविता बेहद रोचक लगी ।

वाह!!!!!!!!!

अच्छी रचना के लिये बधाई स्वीकार करें

नवरात्र पर्व की शुभकामना

नीरज गोस्वामी ने कहा…

बहुत अच्छी रचना...आज के हालात पर पुरजोर चोट करती हुई....
बधाई
नीरज

Harshvardhan ने कहा…

sundar abhivayatkti ke liye aapko shukria

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

प्रायोगिक परन्तु भाव पूर्ण ग़ज़ल कही है आपने,
पसंद आई.
विजय

daanish ने कहा…

aaj ki swaarthi-duniya aur
khud-garz logo par likhi hui
be-baak aur steek rachnaa
har sher khud apni baat kehta hai
badhaaee
---MUFLIS---

Pritishi ने कहा…

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God bless
RC

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