उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

सोमवार, 6 अप्रैल 2009

आज महफिल में कोई...............

आज महफिल में कोई शम्मा फरोजां होगी
कोई इश्क में झुलसेगा, कहीं पिघलती जाँ होगी

चली कली परदेस छोड़ बाबुल का गाँव
कोई आँगन सूना होगा, कहीं खुशियाँ होंगी

किसको अपना कहे , सुनाये हाल--दिल
अपने तो सब छूट गए, अपने घर तन्हां होगी

आज उठेगा किसी का घूंघट , पहली बार
दिल तो मचल रहा होगा, मगर लबों पर ना होगी

अपने मधुकर को पाकर, होगी आज निहाल
कोई दूरी आज नहीं दो जिस्मों के दरम्यां होगी

सृष्टि चक्र चलाने को, मिल जायेंगे हृदय पुनीत
नई कोपलें फूटेंगी फिर, धरती क्यूँ वीरां होगी

17 टिप्‍पणियां:

"अर्श" ने कहा…

ACHHI RACHANA AUR KHUBSURAT KHAYALAAT KE LIYE BADHAAYEE SWIKAAREN..

ARSH

mehek ने कहा…

bahut hi khubsurat,man ke komal bhav saji sunder rachana waah

अपने मधुकर को पाकर, होगी आज निहाल
कोई दूरी आज नहीं दो जिस्मों के दरम्यां होगी

सृष्टि चक्र चलाने को, मिल जायेंगे हृदय पुनीत
नई कोपलें फूटेंगी फिर, धरती क्यूँ वीरां होगी

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

चली कली परदेस छोड़ बाबुल का गाँव
कोई आँगन सूना होगा, औ कहीं खुशियाँ होंगी
भावों से लबरेज गजल।
पढकर मजा आ गया।
मुबारकवाद।

संध्या आर्य ने कहा…

aachchee rachanaa.....

संगीता पुरी ने कहा…

बढिया लिखा ... बधाई स्‍वीकार करें।

Alpana Verma ने कहा…

'चली कली परदेस छोड़ बाबुल का गाँव
कोई आँगन सूना होगा, औ कहीं खुशियाँ होंगी'
-दो शेरो में मिश्रित भाव हैं बाकि सभी शेरो में
मिलन के भाव मुखरित हैं .अच्छी रचना है.

Unknown ने कहा…

बहुत खूबसूरत................सर जी ।

निर्मला कपिला ने कहा…

bahut sundar rachna hai bahut bahut badhai

vandana gupta ने कहा…

achchi bhavavyakti.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मधुर रचना.........सुन्दर शब्द संयोजन

Puneet Sahalot ने कहा…

namastey uncle...!!!
sabse pehle to main aapko dhanyawaad kehna chahunga ki aap meri har rachna padhte hain or us par apne vichar vyakt karte hain.
aapke sahyog ka main aabhaari hoon.

bahut hi bhav-purn rachna rahi aaj ki. or mera naam padhkar bahut khushi hui... :))

सृष्टि चक्र चलाने को, मिल जायेंगे हृदय पुनीत
नई कोपलें फूटेंगी फिर, धरती क्यूँ वीरां होगी

ओम आर्य ने कहा…

good to read one more gajal from your blog. thanks.

ilesh ने कहा…

beautyful

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

आज महफ़िल में कोई शम्मा फिरोजाँ होगी
कोई इश्क में झुलसेगा कहीं पिघलती जां होगी

वल्लाह ...!! क्या कहने हैं जी....???

आज उठेगा घूँघट पहली बार
दिल तो मचल रहा होगा मगर लबों पे न होगी

सुभानाल्लाह ........!! लाजवाब कर दिया हजूर .....!!

गौतम राजऋषि ने कहा…

वाह हुजूर....क्या खूब
हम तो इस मिस्‍रे पे काफ़िये ही ढ़ूंढ़ते रह गये और आप ने इतनी कमाल की ग़ज़ल लिख भी डाली..
"कोई इश्क में झुलसेगा, कहीं पिघलती जाँ होगी"

कुर्बान हुये हम इस खास मिस्‍रे पर

विधुल्लता ने कहा…

आज महफिल में कोई शम्मा फरोजा होगी ....गजल का भाव मनमोहक है गजल तो सबसे कठिन विधा है....आपको बधाई

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

पढकर मजा आ गया।
मुबारकवाद।