आज हमारे वैवाहिक जीवन के पच्चीस सुखद वर्ष पूरे हुए.यानि सिल्वर जुबली हो गई। विवाह से पहले की कुछ यादें ताज़ा हो गईं ।आज की रचना "भावी" ०६.०४.१९७५ को लिखी एक कविता , जब मैं कॉलेज में पढता था , अविवाहित था , प्रस्तुत कर रहा हूँ साथ ही एक नज़म भी हैं "गीत दूत" शीर्षक से ,ये भी १९७५-८० के मध्य की है.१९-२० वर्षीया युवा कवि की तात्कालीन भावनाएं. आशा करता हूँ आपको पसंद आएँगी.
"भावी"
ओ स्वप्न लोक की परी
तुम्हारी छवि
मेरे ह्रदय दर्पण में
ओ भावी हृदयेश्वरी
छिपाए हुए
तुम्हारा कवि
तुम्हें निज अंतर्मन में
अनजान पौध की कली
लगो तुम भली
बिना देखे जीवन में
खोज रहा ओ कली
तुम्हारा अली
तुम्हें हर वन मधुवन में
मिल जाओ ओ मौन
देख मैं कौन
इच्छुक तेरे दर्शन का
निकल के आ ओ चित्र
प्रकट , बन मित्र
तोड़ दे आज
चौखटा इस दर्पण का.
"गीत दूत"
मेरे उर के कोमल भावों
तुम गीत रूप में परिणत हो
जन-जन के मुख से मुखरित हो
मेरा संदेश-
मेरी प्रेयसी तक पहुँचा दो
मैं कमल क्रोड़ में बंद मधुप-सा
वह हरियाली में बंद कली
दोनों प्रतीक्षा-रत ,
कब आएगा प्यारा बसंत
कब आएगी वह ऋतु भली
जब मैं गुन-गुन करता , चहुँ ओर
उन अधरों का रस पान करूंगा
किंतु ज्ञात नहीं यह मुझको
वह किस बगिया की कोमल कलिका
और उसे भी ज्ञात नहीं है
कौन देश का उसका प्रीतम
किस दिशी से उसको आना है
ओ, गीतों ! ले वंशी की धुन
अनदेखी राधा से कहना
कोई तुम्हें पुकार रहा है
तुम तक आने को गुहार रहा है
जब प्रातः वेला में वह जाती होगी
शिव को अर्ध्य-दान करने
या तुलसी को जल देने का
नियम बनाया होगा
तो, मन में, प्रीतम से मिलने का
वर पाने की
उद्दीप्त कामना होगी
संजोई होंगी उसने भी कुछ अभिलाषाएं
उसने भी बनाई होंगी नयनों की भाषाएँ
स्वप्न में उसने प्रीतम का
आलिंगन पाया होगा
और स्वप्न टूट जाने पर
बहुत दुखी हो
उसने आंखों में रात बिताई होगी
मेरे गीतों! तुम्हारा स्वर सुन
जब उसका तन कम्पित होगा
उसकी उर लहरें मचलेंगी जब
किनारा पाने को
तब, वह पूछेगी तुमसे
तुम्हें किसने भेजा है?
कहाँ से लाये हो मधुर भावः,
मधु-कलश कहाँ सहेजा है?
तब निसंकोच बताना
दूर देश से लाये हैं
विरही का संदेसा
ओ कोमल केशा
वह, विरह वेदना से व्याकुल है
कमल क्रोड़ को छोड़
तुम्हें पाने आएगा
फिर तुम घूंघट से अपना
शशि-मुख दिखलाना
आलिंगन में बंध
अधर-सुधा-रस
पान कराना।
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10 टिप्पणियां:
योगेश जी,
नमस्ते
वैवाहिक जीवन के पच्चीस सुखद वर्ष पूरे होने पर याने सिल्वर जुबली हो जाने की बहुत बधाई .आप गोल्डन जुबली भी मनाये ऐसी ईश्वर से प्राथना करता हूँ . रचना भी अच्छी लगी . धन्यवाद.
वाह जी वाह आज आप २५ वीं सालगिरह मना रहे हो और हमें बुलाया भी नहीं ... और ऊपर से इतनी अछि रचना ... अब क्या कहे कुछ कहा भी नहीं जाता ... दोनों ही रचनाये कमाल का लिखा है आपने... रचनावों के साथ साथ वैवाहिक जीवन की सालगिरह की ढेरो बधाईयाँ ... हमेशा खुशियाँ रहे आपके झोली में और स्वस्थ्य सुखद रहे आप...
अर्श
२५ साल पूरे किये आपने वैवाहिक जीवन के । ऐसे ही खुशहाल बीते आने वाले पल यही मंगल कामना है । दोनों रचना सुन्दर लगी ।
वैवाहिक जीवन की रजत जयंती पर शुभकामनाएं...स्वर्ण जयंती के समाचार का इन्तेज़ार रहेगा....बहुत प्यारी रचनाएँ लिखी है अपने यौवन काल में...उस वक्त की मानसिकता को बहुत मनोहर अंदाज़ में प्रस्तुत करती हुई...बधाई.
नीरज
योगेशजी विवाह की रजत जयंती पर आपको बहुत बहुत बधाइ और मंगलकामनायें अब के माफ किया मगर सवर्ण जयांती पर हमे जरूर् बुलाये अगर अर्श याद ना दिलते तो कि आपको बुलाना छाहिये था तो मुझे भी लगा कि ये तो आपने कंजूसी कर ली चलो अगली बार याद रखना बहुत बहुत मुबरक रचनायें भी बहुत अच्छी हैं
सिल्वर जुबली पर बधाई ।
आपके आगामी आनन्दमय जीवन हेतु दुआगो हूं
श्याम सखा श्याम
मेरा ब्लॉग फ़ॉलो करने हेतु आभार
वैवाहिक जीवन के २५ वसंत पार करने की बधाई......... ऐसे ही आप १०० वर्ष साथ साथ पूरे करें ये मेरी शुभ कामना है........ आज तो भाभी को भी फोटो साथ लगादेते तो सुन्दर प्रेम रचना के साथ......... रचना की प्रेरणा से भी मिल लेते...
shadi ki 25th varshgaanth par hardik shubhkamnayein.........aap vaivahik jeevan ke 100 varsh poore karein yahi kamna hai.........dono hi rachnayein lajwaab hain.
बहुत बहुत मुबारक़बाद
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श्री युक्तेश्वर गिरि के चार युग
silvar jubly par apko bahut bahut shubhkamnaye
aasha karte hai aap apni golden jubly isi tareh hamse baantege ....rachna bahut bahut sunder lagi ...mere blog par ek naye geet k liye apki prtikrya or margdarshan ka injaar rahega ...thanks
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