कहाँ जा रहा देश, देखो, कहाँ जा रहा देश
कहाँ जा रहा देश, अपना कहाँ जा रहा देश
चारों ओर मची है देखो , बस पैसे की लूट
चोर लुटेरे ऐश कर रहे, डाल-डाल कर फूट
दूर -दूर तक देखा हमने , देखा भ्रष्टाचार
जो ना भ्रष्टाचार करे, सो लगता है बीमार
डाकू राजा बन बैठे, कर जनता को कंगाल
मिटा रहे अपनी निर्धनता,होकर मालामाल
दुश्चरित्र लोभी पाखंडी, देते हैं उपदेश
भारत माता बिलख रही है, आज खोलकर केश
कहाँ जा रहा देश...........................
नए रूप में आते देखो , परदेसी व्यापारी
मजदूरों को हटा कर रहे बंद फैक्ट्री सारी
वातावरण हुआ है दूषित, पेट्रोल डीजल से
सांस हो गया लेना दूभर, पानी गायब नल से
भूल चुके हैं गुरुजनों का आदर करना बालक
आचार-संहिता बना रहे, आचार-हीन संचालक
केबल टी वी और सिनेमा करते हैं जो पेश
भोंडेपन को देख हो गए, व्यर्थ सभी सन्देश
कहाँ जा रहा देश...........................
भक्ति भजन भूल कर भोगी कामी हुआ समाज
कैसा नया ज़माना, मिटते जाते रीत-रिवाज़
कहो राम से , जाकर देखो, आया वही ज़माना
हंस चुग रहा दाना तिनका,मोती कौवा काना
प्रेम प्यार की बातें अब, लगती हैं बेमानी
गावों में भी पहुँच चुका है , गन्दला शहरी पानी
अब तो सोचो अब तो समझो, जगा रहा योगेश
ऐसा चलता रहा तो कुछ भी नहीं रहेगा शेष
कहाँ जा रहा देश...........................
कुंठा और तनावों में क्यूँ काट रहे जीवन
आग विदेशी जला ना जाए ये अपना मधुवन
खुद को जांचो खुद को परखो,खुद में करो सुधार
देश स्वयं ही सुधर जायेगा, सुधरा गर आधार
पहचानों जो ख़त्म कर रहे आज तुम्हारी दौलत
चुन-चुन उनको ख़त्म करो, बिना दिए कुछ मोहलत
जरा मुखौटे उठा के देखो, उनका रूप विशेष
बैठे हैं गद्दार देश में, बदल बदल कर वेश
कहाँ जा रहा देश...........................
क्यूँ कायर से बन बैठे हो, होकर यूँ लाचार
करने से भी बुरा है बंधू , सहना अत्याचार
गीता को है चिंता भारी, है कुरान हैरान
धर्म करम को छोड़ बना है इन्सां क्यूँ हैवान
गैरों से भी ज्यादा कुछ, अपनों ने की बर्बादी
हाय! कहीं फिर खो ना जाए, ये अपनी आजादी
नेताओं के घर मिलता है, अरबों रुपया कैश
गांधी, नेहरु, नेताजी -सा कोई रहा ना शेष
कहाँ जा रहा देश...........................
अल्लाह, ईश्वर, आसमान से देख रहे हैं ऐसे
जो उनका भारत था , भारत देश नहीं वो जैसे
एक जहन्नुम बना दिया भारत को भ्रष्टाचार ने
सोने की चिडिया माना था, कभी जिसे संसार ने
कहाँ गए वो गुरु, सत्य की राह हमें जो दिखा गए
कहाँ गए वो गुरु शिष्य को , जो गोविन्द से मिला गए
दिखा गए हैं दिशा हमें जो संत और दरवेश
उसी पे चल होगा महान फिर अपना "भारत" देश
कहाँ जा रहा...
यह रचना कई(4-५) वर्ष पहले लिखी थी , हो सकता है इसके कुछ अंश प्रासंगिक/सामयिक न हों . जो भी है कविता आपके सामने है. आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षाहोगी.
21 टिप्पणियां:
AAPKI YAH KAVITA SACH ME BHAARAT MATA KE DARD KO BAKHUBI DIKHAA RAHI HAI ... AUR SABSE ACHHI BAAT YE KE PURI TARIKE SE LAY ME HAI KAVITAA ... KAVITAA KI YAHI TO KHASIYAT HAI,,..DHERO BADHAYEE SUNDAR KAVITAA KE LIYE...
ARSH
apne to kai varsh pehle hi aaj ke halat dekh liye the bahut sahi tasveer hai aj ke bharat ki bahut bahut abhar
बहुत सुन्दर भाई योगेश जी देश २१वी सदी की और जा रहा है .
bahut khub
स्वपन जी.ये कविता आज भी प्रासंगिक है...........हमारा देश रसातल को ही जा रहा है..............दुखी मन से लिखी......यथार्थ रचना
बहुत खूब!! सब सामायिक और प्रासंगिक है आज भी!!
bhut hi achcha likha hai aap ne
bdhai swikar karain
आपने जो कविता में की है वह सचमुच बहुत गंभीर विषय, रचना के लिए बधाई
bahut badhiya likha hai.......aaj bhi prasngik hai aur tab tak rahegi jab tak desh mein sudhar na hoga.
हालातों में कहाँ बहुत बदलाव हुआ है पिछले ५-६ सालों में भी स्वप्न जी..यह तो सामयिक ही लगती है.सही चिंता दर्शाती हुई कविता.आशा है कुछ बदलाव भविष्य में संभव हो सके.
४-५ साल पहले लिखी कविता आज भी प्रासंगिक है और लगता है कि अगले ४-५ सालों तक भी प्रासंगिक ही रहेगी.
सुन्दर अभिव्यक्ति...
स्वप्न जी,
इतनी सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद....
गहरी रचना है। चिंताएं सच्ची हैं।
achchhe vichar hain.
Navnit Nirav
Ye Kavita kabhi purani nahi ho sakti
bharat ki halaat yahi hai aaj bhi
bahut hi bhavuk kar dene wali vicharon ki bahut prabhavshali prastuti
"कहाँ जा रहा है देश ...." एक चिंतनीय विषय पर कलम चलाई है आपने
प्रशंसनीय कविता.....!!
BHAVABHVYAKTI ATI SUNDAR HAI.
BADHAAEE.
एकदम से जैसे शब्दों में तस्वीर खींच दी है आपने योगेश जी....या ये कहना बेहतर होगा कि आईना रख दिया है
yogesh ji
aapne bahut sundar kavita likhi hai aur aaj ki samajik paristithiyo par bilkul sateek baithti hai
itne acche lekhan ke liye badhai sweekar karen..
namaskar ,
meri nayi kavita " tera chale jaana " aapke pyaar aur aashirwad bhare comment ki raah dekh rahi hai .. aapse nivedan hai ki padhkar mera hausala badhayen..
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html
aapka
vijay
बहुत बहुत शुक्रिया आपके लाजवाब शायरी के लिए! मेरी शायरी तो बिल्कुल फीकी पर गई आपके ख़ूबसूरत शायरी के सामने!
भारत के बारे में आपने बिल्कुल सही फ़रमाया है और बहुत ही गहराई के साथ अपना विचार बयान किया है जो प्रशंग्सनीय है! बहुत ही शानदार रचना है!
देश की चिंता प्रभावी ढंग से दिखलाई देती है.
बहुत सुन्दर रचना
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