ख्वाब और हकीकत का, मेल है दुनिया
खुदा का निराला ये, खेल है दुनिया
कोई आ रहा है , कोई जा रहा है
सभी हैं मुसाफिर, रेल है दुनिया
अगर जल रहा है ,दीपक तो समझो
है ज्योति उसी की,तेल है दुनिया
जो मुलजिम न होते, कभी भी ना आते
हैं मुलजिम खुदा के, जेल है दुनिया.
कीमत यहाँ गिर गई, आदमी की
सस्ते में बिकता है ,सेल है दुनिया
वहीँ पर पड़ी है, ज़रूरत खुदा की
जहाँ कुछ भी पाने में, फ़ेल है दुनिया
19 टिप्पणियां:
kis kis pankti ki ya kis kis shabd ki tarif karun.........har shabd haqeekat bayan karta huaa..........lajawaab prastuti........gahan abhivyakti.
Kitna sahee hai..yaad aayaa ek geet," ye duniya ek tufaan mel..."
ache kahan ke saath khubsurat rachana...har she'r alag hi khubsurati ke saath...bahut bahut badhayee.. salaam
arsh
वाह, क्या गज़ल लिखी है
और आखिरी शेर was the best possible ending it can have.
Amazing..
मुझे इस तरह की गज़लें इस लिये भी पसन्द अती हैं क्योंकि, ये सरल आम आदमी की भाषा में लिखी जाती है
बिना ज़बरदस्ती की उर्दू थूसे हुए
बहुत बढ़िया.
अति सुन्दर रचना ...............बहुत बहुत बधाई
सच और सिर्फ़ सच बयाँ करती कविता!
आप की इस ग़ज़ल के बारे में क्या कहूँ.......हर शेर लाजवाब...
बहुत सुन्दर रचना....बहुत बहुत बधाई....
भई बहुत खूब कहा है।
आलोक पुराणिक
सच कहा ........ लाजवाब और सार्थक कहा है ........ बधाई स्वपन जी ........
बहुत सरल शब्दों में दुनिया का शब्द चित्र खींच दिया आपने।
{ Treasurer-S, T }
दुनिया का बहुत सुंदर शब्द चित्र खींचा है आपने।
{ Treasurer-S, T }
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! बिल्कुल सच्चाई का ज़िक्र किया है ! इस बेहतरीन कविता के लिए बधाई!
मेरे नए ब्लॉग पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
स्वपन जी बहुत खूबसूरत गज़ल है बधाई
स्वपन जी बहुत खूबसूरत गज़ल है बधाई
lajavaab rachna hai sir ek dum sacchi or bahut hi acchi ..badhai svikare
अच्छी रचना हुई है. वहीं----वाला शेर बहुत सुन्दर है.
आलोक पुराणिक जी से आपकी मित्रता देखकर बडी खुशी होती है क्योंकि मैं उनके लेखन का कायल हूं.
bahut achchhi lagi ghazal . badhai!!
विचार बहुत अच्छे हैं लेकिन फॉर्म के एतबार से यह गजल नहीं है. क्षमा चाहूँगा मेरे अलावा बहुत से लोगों ने गजल सीखने के लिए बहुत मेहनत की है. इतना ही नहीं आज भी हम विद्यार्थी ही हैं. हो सकता है आपको मेरी यह बात बहुत बुरी लगी हो, शायद आप इस कमेन्ट को डिलीट भी कर दें, लेकिन मेरे भाई इससे सच्चाई खत्म नहीं हो जायेगी. आपको ब्लॉग पर तारीफें मिल रही हैं, उन लोगों की भी जो खुद गजल के सशक्त हस्ताक्षर हैं, वे आपका उत्साहवर्धन कर रहे हैं, उनके इस प्रयास को मूर्त रूप देने की आवश्यकता है. मैं ने अपना समझकर ये भाषण दिया है, बुरा लगा हो तो बता दीजियेगा, सार्वजनिक रूप में क्षमा मांग लूँगा.
एक टिप्पणी भेजें