उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

शुक्रवार, 4 सितंबर 2009

ख्वाब और हकीकत का, मेल है दुनिया

ख्वाब और हकीकत का, मेल है दुनिया
खुदा का निराला ये, खेल है दुनिया

कोई रहा है , कोई जा रहा है
सभी हैं मुसाफिर, रेल है दुनिया

अगर जल रहा है ,दीपक तो समझो
है ज्योति उसी की,तेल है दुनिया

जो मुलजिम होते, कभी भी ना आते
हैं मुलजिम खुदा के, जेल है दुनिया.

कीमत यहाँ गिर गई, आदमी की
सस्ते में बिकता है ,सेल है दुनिया

वहीँ पर पड़ी है, ज़रूरत खुदा की
जहाँ कुछ भी पाने में, फ़ेल है दुनिया

19 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

kis kis pankti ki ya kis kis shabd ki tarif karun.........har shabd haqeekat bayan karta huaa..........lajawaab prastuti........gahan abhivyakti.

kshama ने कहा…

Kitna sahee hai..yaad aayaa ek geet," ye duniya ek tufaan mel..."

"अर्श" ने कहा…

ache kahan ke saath khubsurat rachana...har she'r alag hi khubsurati ke saath...bahut bahut badhayee.. salaam


arsh

Yogi ने कहा…

वाह, क्या गज़ल लिखी है

और आखिरी शेर was the best possible ending it can have.
Amazing..

मुझे इस तरह की गज़लें इस लिये भी पसन्द अती हैं क्योंकि, ये सरल आम आदमी की भाषा में लिखी जाती है

बिना ज़बरदस्ती की उर्दू थूसे हुए

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया.

ओम आर्य ने कहा…

अति सुन्दर रचना ...............बहुत बहुत बधाई

Vinay ने कहा…

सच और सिर्फ़ सच बयाँ करती कविता!

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

आप की इस ग़ज़ल के बारे में क्या कहूँ.......हर शेर लाजवाब...
बहुत सुन्दर रचना....बहुत बहुत बधाई....

आलोक पुराणिक ने कहा…

भई बहुत खूब कहा है।
आलोक पुराणिक

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच कहा ........ लाजवाब और सार्थक कहा है ........ बधाई स्वपन जी ........

Arshia Ali ने कहा…

बहुत सरल शब्दों में दुनिया का शब्द चित्र खींच दिया आपने।
{ Treasurer-S, T }

Arshia Ali ने कहा…

दुनिया का बहुत सुंदर शब्द चित्र खींचा है आपने।
{ Treasurer-S, T }

Urmi ने कहा…

बहुत बढ़िया लिखा है आपने! बिल्कुल सच्चाई का ज़िक्र किया है ! इस बेहतरीन कविता के लिए बधाई!
मेरे नए ब्लॉग पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com

निर्मला कपिला ने कहा…

स्वपन जी बहुत खूबसूरत गज़ल है बधाई

निर्मला कपिला ने कहा…

स्वपन जी बहुत खूबसूरत गज़ल है बधाई

Vandana Singh ने कहा…

lajavaab rachna hai sir ek dum sacchi or bahut hi acchi ..badhai svikare

संजीव गौतम ने कहा…

अच्छी रचना हुई है. वहीं----वाला शेर बहुत सुन्दर है.
आलोक पुराणिक जी से आपकी मित्रता देखकर बडी खुशी होती है क्योंकि मैं उनके लेखन का कायल हूं.

Prem Farukhabadi ने कहा…

bahut achchhi lagi ghazal . badhai!!

सर्वत एम० ने कहा…

विचार बहुत अच्छे हैं लेकिन फॉर्म के एतबार से यह गजल नहीं है. क्षमा चाहूँगा मेरे अलावा बहुत से लोगों ने गजल सीखने के लिए बहुत मेहनत की है. इतना ही नहीं आज भी हम विद्यार्थी ही हैं. हो सकता है आपको मेरी यह बात बहुत बुरी लगी हो, शायद आप इस कमेन्ट को डिलीट भी कर दें, लेकिन मेरे भाई इससे सच्चाई खत्म नहीं हो जायेगी. आपको ब्लॉग पर तारीफें मिल रही हैं, उन लोगों की भी जो खुद गजल के सशक्त हस्ताक्षर हैं, वे आपका उत्साहवर्धन कर रहे हैं, उनके इस प्रयास को मूर्त रूप देने की आवश्यकता है. मैं ने अपना समझकर ये भाषण दिया है, बुरा लगा हो तो बता दीजियेगा, सार्वजनिक रूप में क्षमा मांग लूँगा.