उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

मंगलवार, 13 अक्तूबर 2009

कुछ दोहे

जो अपनी औकात में रहकर करता बात
उसको सभ्य समाज की पड़े कभी ना लात

भूल गया निज वक़्त तू कुर्सी पा भरमाय
घूस खाए चोरी करे सबकी लेता हाय

तुझको लगता था बुरा, जो औरों का कर्म
वही कर्म अब तू करे , गई कहाँ तेरी शर्म

कुर्सी के बल कूदता , कहाँ गए संस्कार
 "केवल" कुर्सी छोड़कर ,पायेगा तिरस्कार

ये शतरंज का खेल है, खा जायेगा मात
सवा सेर है सेर को, गाँठ बाँध ले तात

रहे सुरक्षित वो सदा , झुका हुआ जो वृक्ष
तने हुए को काटना , है समाज का लक्ष्य

देने को कुछ है नहीं , बोल तो मीठे बोल
अरे  जाग अब त्याग दे , अंहकार का खोल
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कुछ दोहे लिखने की कोशिश की है कहाँ तक सफल हूँ , पता नहीं ,कुछ ख़ास नया भी नहीं दे पाया हूँ  पाठकों से विनम्र निवेदन है कमेंट्स  देते समय प्रशंसा करें ना  करें , कोई भी कमी  देखें ज़रूर बताएं,  मुझे उस कमी को दूर करने में सहायता मिलेगी, मैं आपका ह्रदय से आभारी हूँगा. धन्यवाद.

23 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

आपकी गल्‍ती बताने के काबिल मैं तो नहीं .. मुझे भाव अच्‍छे लगते हैं .. तो मान लेती हूं कि रचना अच्‍छी है .. बहुत बहुत बधाई !!

kshama ने कहा…

Ham sab ahankaar tyag ne me saphal ho jayen to jeevan saphal ho jaye...!

शरद कोकास ने कहा…

भई विशय तो उम्दा है लेकिन मात्राएँ गिन लें , मै तो गिन नही पाया ।

संजीव गौतम ने कहा…

बढिया दोहे लिखे हैं आपने. वाकई हम अगर दो मिनट रोज़ सोच लें अपने कर्मों के विषय में तो क्रांति न घट जाय. बधाई

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

देने को कुछ है नहीं बोल तो मीठे बोल
अरे जाग अब त्याग दे, अंहकार का खोल

- दोहे भले लगे आपके.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

धनतेरस, दीपावली और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!

तुझको लगता था बुरा, जो औरों का कर्म।
वही कर्म अब तू करे, कहाँ खो गई शर्म।।

बहुत बढ़िया लिखा हैः
मगर ये तो स्पष्ट कर दें कि
यह किस ब्लॉगर को समर्पित किया है आपने।

अजय कुमार ने कहा…

bahut safal koshish

संदीप ने कहा…

maja aa gaya swapn sahab....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

achha likha hai swapan ji .... bahoot hi achhe bhaav hain ..... sab ke sab dohe naya rang , naya mizaaz liye huve hain ....

निर्मला कपिला ने कहा…

देने को कुछ नहीं बोल ले मीठै बोल--- बहुत सुन्दर दोहे हैं यही तो सीखने वाली बातें हैं जो कोई सीखना नहीं चाहता बहुत अच्छे सुन्दर दोहे हैं ।धन्यवाद आपको व आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनायें

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

वाहवा....

kumar zahid ने कहा…

संगीता जी .क्षमा जी की बात से मैं भी सहमत हूं। शरद जी ने इशारा किया और शास्त्री जी ने तो हल प्रस्तुत कर दिया। उर्दू कहावत आप जानतेही हैं- नीयत से बरक्कत। गीता कहती है इसी को, ‘कर्म कर फल की चिन्ता रहने दे। वे चुपचाप फल जाते हैं।’
धनतेरस में चाौदह रत्न पाएं और दीपावली सानंद मनाएं, यही शुभकामनाएं...

ज्योति सिंह ने कहा…

aakhari line ke saath poori rachana behtrin .dpawali ki dhero shubhkaamnaaye aapke parivaar ko .

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

दीवाली हर रोज हो तभी मनेगी मौज
पर कैसे हर रोज हो इसका उद्गम खोज
आज का प्रश्न यही है
बही कह रही सही है

पर इस सबके बावजूद

थोड़े दीये और मिठाई सबकी हो
चाहे थोड़े मिलें पटाखे सबके हों
गलबहियों के साथ मिलें दिल भी प्यारे
अपने-अपने खील-बताशे सबके हों
---------शुभकामनाऒं सहित
---------मौदगिल परिवार

Alpana Verma ने कहा…

Yogesh ji,आप सहित पूरे परिवार को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

संजीव गौतम ने कहा…

स्वप्न जी आपको मय परिवार के दीपोत्सव की शुभकामनाएं.

daanish ने कहा…

bahut sundar dohaawali prastut ki hai
sabhi mein ik-ik paigaam chhipa hai
badhaaee
Deepawali ki shubhkaamnaaein

"baateiN shishtachaar ki ,
mn se nikle bol
rachnaa ye nayaab hai,
hr dohaa anmol.."

रचना गौड़ ’भारती’ ने कहा…

दोहे बहुत अच्छे लगे।

दीप की ज्योति सा ओज आपके जीवन में बना रहे इस कामना के साथ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। आपकी बुद्धि में गणेश की छाया,घर में लक्ष्मी की माया और कलम में सरस्वती का वास रहे।
*Happy Deepavali*

Prem Farukhabadi ने कहा…

yogesh ji
bahut achchhi lagi apki rachna badhai!!

M VERMA ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना
सुन्दर भावो से अनुभूतियो को संजोया है

बेनामी ने कहा…

अच्छे भावो से युक्त दोहे है
तड़प कबीरा की मन मीरा का
सु संस्कार से आये चमकी हीरा की

ओम आर्य ने कहा…

बेहद सुन्दर रचना योगेश जी!

निर्झर'नीर ने कहा…

bandhai swikaren ..khoobsurat khayal pesh kiya hai