खोजता था अपना नाम उसके हाथों में कहीं
क्या लकीरें इश्क की , हाथ में होती नहीं हैं?
सोचता था स्वप्न में ही उससे मिल आऊं कभी
पर सुना है वो दीवानी आज कल सोती नहीं है
अश्क बनकर बरस जाऊं उसकी आँखों से कभी
मेरी किस्मत, मौन है वो, आजकल रोती नहीं है
सीपियाँ तो खोज लाया मोतियों की चाह में
देख कर हैरां हूँ इनमें बूँद हैं मोती नहीं है
मैं तो मिटना चाहता था एक पतंगे की तरह
उस शमा में मोम तो है ,ज्योत है, ज्योति नहीं है
मैंने कितने बीज खुशियों के दिए उसको मगर
क्यूँ दबा देती बरफ में , बीज, क्यूँ बोती नहीं है
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मेरा http://swapnyogeshverma.blogspot.com/ ब्लॉग भी देखें.
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21 टिप्पणियां:
सोचता था स्वप्न में ही उससे मिल आऊं कभी
पर सुना है वो दीवानी आज कल सोती नहीं है
बेहतरीन अभिव्यक्ति...लाज़वाब रचना....धन्यवाद!!!
योगेश जी,बहुत उम्दा रचना है।बहुत ही सुन्दर भाव हैं।बधाई स्वीकारें।
सीपियाँ तो खोज लाया मोतियों की चाह में
देख कर हैरां हूँ इनमें बूँद हैं मोती नहीं है
गजब की रचना .. बहुत पसंद आयी आज ये !!
अश्क बनकर बरस जाऊं उसकी आँखों से कभी
मेरी किस्मत, मौन है वो, आजकल रोती नहीं है
सीपियाँ तो खोज लाया मोतियों की चाह में
देख कर हैरां हूँ इनमें बूँद हैं मोती नहीं है
waah behtarin abhivyakti.
Itne sawalon ke jawab jeevan me kab mile?Kyon kisee shama me jyot hai, jyoti nahi, raushnee nahee?
aaj ki aapki rachna sabse sashakt rachna hai.........wakai jaise ek ek amulya moti dhoondhkar aaye hain aap...........kis kis pankti ki tarif karun..........ha rpankti dil ko bahut gahre tak chhoo gayi hai............tarif ke liye shabd bhi kam pad rahe hain..........ise sambhal kar rakhiyega bahut hi kamaal ka likha hai.
Kiskee lakeeron me kiska naam? Kaun samajh paya?
ati sundar baav,
ati sunder abhivyakti,
shabd gunthan itnaa sundar
gunjaaymaan huyee hriday bhakti.
aapkaa blog sarahniya hai.
smt. renu ahuja.
सुंदर रचना के लिये साधुवाद स्वीकारें......
रचना अछि है और भाव भी गहरे लिए है दूसरा शे'र खासा पसंद आया बहुत बहुत बधाई ताऊ जी
अर्श
सोचता था स्वप्न में ही उससे मिल आऊं कभी
पर सुना है वो दीवानी आज कल सोती नहीं है
जागते मे भी कुछ लोग स्वप्न देख लेते है.
बहुत सुन्दर रचना
सोचता था स्वप्न में ही उससे मिल आऊं कभी
पर सुना है वो दीवानी आज कल सोती नहीं है...
GAHRI BAAT SWAPAN JI ...
मैंने कितने बीज खुशियों के दिए उसको मगर
क्यूँ दबा देती बरफ में , बीज, क्यूँ बोती नहीं है..
LAJAWAAB SHER BHSI YE ... DARD CHIPA HAI MAAYUSI KA IS SHER MAIN ...
सीपियाँ तो खोज लाया मोतियों की चाह में
देख कर हैरां हूँ इनमें बूँद हैं मोती नहीं है
सोचता था स्वप्न में ही उससे मिल आऊं कभी
पर सुना है वो दीवानी आज कल सोती नहीं है
bahut hi shaandar aur manmohak rachna ,saath hi gahare arth liye huye ,man ko bha gayi ,aapki tippani me kahi baton ka jawab de di hoon .
खोजता था अपना नाम उसके हाथों में कहीं
क्या लकीरें इश्क की हाथ में होती नहीं है
कमाल .....!!
सोचता था स्वप्न में ही उससे मिल आऊं कभी
पर सुना है वो दीवानी आज कल सोती नहीं है
वाह......लाजवाब....!!
सीपियाँ तो खोज लाया मोतियों की चाह में
देख कर हैरां हूँ इनमें बूँद हैं मोती नहीं है
वाह....बहुत खूब....!!
स्वप्न जी नायाब नगीने ढूंढ कर लाये हैं इस बार ....!!
सोचता था----- और अश्क बन कर ----
बहुत सुन्दर शुभकामनायें
swapn g bahut sundar rachna hai.
सोचता था स्वप्न में ही उससे मिल आऊं कभी
पर सुना है वो दीवानी आज कल सोती नहीं है
waah ji waah...bahut hi achhi rachna ...
कविता अच्छी है । आपका टेम्प्लेट खुलने मे बहुत देर लगती है इसे सम्भव हो तो बदलिये ।
अश्क बनकर बरस जाऊं उसकी आँखों से कभी
मेरी किस्मत, मौन है वो, आजकल रोती नहीं है
सीपियाँ तो खोज लाया मोतियों की चाह में
देख कर हैरां हूँ इनमें बूँद हैं मोती नहीं है
मैं तो मिटना चाहता था एक पतंगे की तरह
उस शमा में मोम तो है ,ज्योत है, ज्योति नहीं है
मैंने कितने बीज खुशियों के दिए उसको मगर
क्यूँ दबा देती बरफ में , बीज, क्यूँ बोती नहीं है
वाह स्वप्न जी
ब्लॉग खुलते ही पहले राधा कृष्ण के दर्शन फिर एक बेहतरीन नज्म का आगमन
आ रहा है धीरे धीरे रंगे हिना
खुल रहा है हुनर खूबिया तू गिना
swapn ji bahut hi sunder abhiyakti !
mere post padhakar lagatar protsahan dene ke liye bahut-2 dhanyabad.
mere dusare blog BHARAT AUR MAHABHARAT par likhe vyang MAIYA MAI TO CHANDRA KHILAUNA LAIHO..par aap ke comment ka mujhe besabri se intejar hai.
सुन्दर अति सुन्दर ..हर शेर में कशिश और गहराई
दाद हाज़िर है ..कुबूल करें
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