उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009

कहता है दिल करे यूँ शिकायत कभी कभी

कहता है दिल करे यूँ शिकायत कभी कभी

कहता है दिल करे यूँ,शिकायत कभी कभी
उसमें भी हो छिपी-सी,मुहब्बत कभी कभी

हो प्यार में अगरचे ,अदावत कभी कभी
उस पर भी हम करें एक ,दावत कभी कभी

इन्सां पे रब की हो यूँ, इनायत कभी कभी
पहुंचे जो रूह तक भी ,राहत कभी कभी

बन्दों की ऐसे लाजिम  ,हिमायत कभी कभी
मज़हब की तोड़ दें जो ,रवायत कभी कभी

हो जिक्र गर खुदा की, बाबत कभी कभी
तो मानें कृष्ण की भी ,हकीकत कभी कभी

कुरआन की पढ़ें यूँ ,आयत कभी कभी
गीता ज्यों बाँचने की, चाहत कभी कभी

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आज अभी कुछ देर पहले समीर जी (उड़न तश्तरी) के ब्लॉग पर था उनके लैपटॉप को श्रधांजलि देने के बाद कुछ दिन पहले लिखी अपनी ये पंक्तियाँ  याद आ गईं  सो आज बड़ा दिन भी है एक के साथ एक फ्री 

नहीं चाहते हुए भी सब कुछ सहना पड़ता है


नहीं चाहते हुए भी सब कुछ सहना पड़ता है
सुख में दुःख में इस दुनिया में रहना पड़ता है

प्यार अगर है तो मुख से भी कहना पड़ता है
रीत-रिवाजों की धारा में बहना पड़ता है

कितना भी हो प्यारा रिश्ता ,चट्टानों-सा दुनिया में
एक रोज़ निश्चित उसको भी ढहना पड़ता है


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16 टिप्‍पणियां:

Vinashaay sharma ने कहा…

कहता है दिल कभी कभी
उसमें भी छुपी हो मोहब्बत कभी कभी

सुन्दर शिकायत ।

M VERMA ने कहा…

हो प्यार में अगरचे ,अदावत कभी कभी
उस पर भी हम करें एक ,दावत कभी कभी
अदावत के इस युग मे दावत की बाते
अच्छी रचना

Udan Tashtari ने कहा…

एक के साथ एक फ्री स्कीम में सॉलिड आईटम लाये..हमारे लिखने का फायदा यहाँ पाया हमने... :)


बहुत उम्दा!!

vandana gupta ने कहा…

कितना भी हो प्यारा रिश्ता ,चट्टानों-सा दुनिया में
एक रोज़ निश्चित उसको भी ढहना पड़ता है

bahut hi umda aur gahan bhav samete huye hai rachna.........badhayi.

गौतम राजऋषि ने कहा…

इस अदावत और दावत का मिश्रण खूब बन पड़ा है योगेश जी!

ज्योति सिंह ने कहा…

हो प्यार में अगरचे ,अदावत कभी कभी
उस पर भी हम करें एक ,दावत कभी कभी
अदावत के इस युग मे दावत की बाते
kya baat hai, bahut hi zabardast rachna hai ,sach hi hai dil shikayat hazar karta hai ,shayad ye bhi rahat ke raaste hai ,umda

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

बहुत अच्छी रचना
बहुत -२ आभार

निर्मला कपिला ने कहा…

हो प्यार में अगरचे ,अदावत कभी कभी
उस पर भी हम करें एक ,दावत कभी कभी
बहुत खूब योगेश जी दिल को छू गयी आपकी रचना बधाई

Prem Farukhabadi ने कहा…

bahut sundar.Badhai!!

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

इन्सां पे रब की हो यूँ, इनायत कभी कभी
पहुंचे जो रूह तक भी , राहत कभी कभी

बहुत खूब .....!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

कितना भी हो प्यारा रिश्ता ,चट्टानों-सा दुनिया में
एक रोज़ निश्चित उसको भी ढहना पड़ता है ..

सच कहा .. पत्थर से टकरा कर हर चीज़ ढह जाती है ......... बेहतरीन पंक्तिया हैं ........

शेर .......... मुकम्मल, सुभान

ALOK PURANIK ने कहा…

क्या कहने क्या कहने, वाह ही वाह है जी

निर्झर'नीर ने कहा…

नहीं चाहते हुए भी... बहुत सुन्दर लगी

Yogendramani ने कहा…

कुरआन की पढ़ें यूँ ,आयत कभी कभी
गीता ज्यों बाँचने की, चाहत कभी कभी

अच्छी बात कही है ...।

Alpana Verma ने कहा…

आप के ब्लॉग पर आते ही राधा कृष्ण की मनमोहक छवि देखने को मिलती है.कुछ पल उन्हें ही देखते रहती हूँ..बेहद सुंदर छवि है.
आप की ग़ज़ल 'शिकायत कभी कभी'..एक बेहतरीन ग़ज़ल है..सभी शिकायतें जायज़ हैं..पाँचवा शेर बहुत ही उम्दा कहा है..खूबसूरत ख्याल हैं.
--दूसरी रचना रिश्तों की समाज में स्थिति दर्शा रही है.
आभार और नये साल के लिए अग्रिम शुभकामनाएँ .

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

कितना भी हो प्यारा रिश्ता ,चट्टानों-सा दुनिया में
एक रोज़ निश्चित उसको भी ढहना पड़ता है

रिश्तों की सच्चाई बयां करती हैं ये पंक्तियां बहुत सुन्दर............