लीजिये एक और रचना पुरानी डायरी से.
ना भुला सका
मैंने तेरी राह ना देखी,
इंतज़ार भी नहीं किया
सच कहता हूँ ,दिल से, मैंने
तुझको प्यार भी नहीं किया
फिर भी जाने क्या कारण है तुझको मैं ना भुला सका
तुझसे कभी ना मिलना चाह
तेरा रूप ना कभी सराहा
वफ़ा की कोई कसम ना खाई
वादा कोई नहीं किया
फिर भी जाने क्या कारण है तुझको मैं ना भुला सका
तेरे लिए कोई गीत ना गाया
कोई फ़साना नहीं बनाया
दीवाना ना बनकर भटका
तुझको रुसवा नहीं किया
फिर भी जाने क्या कारण है तुझको मैं ना भुला सका
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15 टिप्पणियां:
आत्मिक लगाव छिपा है इसमें
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!
waah..........bahut sundar abhivyakti.........kabhi kabhi aisa bhi hota hai.
bahut hi sundar rachana,dil ko chhoo gai,badhai swikare!
स्वपन जी बहुत खूबसूरत रचना है । बहुत बहुत बधाई
तुझको प्यार भी नहीं किया
फिर भी जाने क्या कारण है तुझको मैं ना भुला सका
बहुत कुछ अकारण भी तो होता है
बहुत अच्छी रचना
सच कहता हूँ ,दिल से, मैंने
तुझको प्यार भी नहीं किया
फिर भी जाने क्या कारण है तुझको मैं ना भुला सका
बहुत लाजवाब बात कही है स्वपन जी ... कभी कभी ना चाहते हुवे भी इंसान भूल नही पाता ...... आपको नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएँ ........
पुराने चावलों की महक बरकरार है जी!
बढ़िया रचना है!
रुसवा नहीं किया , गीत नहीं गाया ,
प्यार तो किया ...काफी होगा इतना भी ....!!
सर्वप्रथम नव वर्ष की हार्दिक शुभकानाएं.
बहुत दिनों के बाद आया हूँ, क्षमा प्रार्थी हूँ.
आपकी यह रचना इतनी मनोवैज्ञानिक है कि मन झूम गया. सच, हमारी ज़िन्दगी में ऐसे अनेक अवसर आते हैं जिनमें ऐसी ही स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं. आपने इतने बारीक मुद्दे को उठाया कि मैं तो चकित रह गया.
बाकी हाल चाल कैसा है, अवगत कराईयेगा. अभी कोई नई पोस्ट नहीं डाली है. नई पोस्ट की सूचना दूंगा.
मैंने तेरी राह ना देखी,
इंतज़ार भी नहीं किया
सच कहता हूँ ,दिल से, मैंने
तुझको प्यार भी नहीं किया
फिर भी जाने क्या कारण है तुझको मैं ना भुला सका
bahut hi sundar ,old is gold aese nahi kahte
Kitnee saraltaa se ek mushkil baat kah dee aapne!
वाह.
स्वप्न जी
बहुत सुन्दर रचना
साथ में कृष्ण और राधा की तस्वीर बहुत सुन्दर.......
बहुत बहुत आभार ........
aapne jo mahsoos kiya hai yahi to pyaar hai dost. pyaar to anubhooti hai.kahne kii jaroorat nahin padti. mubaarak ho!!
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