चलिए आज VALENTINE DAY पर कुछ पुरानी यादें ताज़ा करते हुए निम्न दो रचनाएँ प्रस्तुत कर रहा हूँ . हालाँकि VALENTINE DAY का चलन कुछ ही वर्ष पूर्व शुरू हुआ है, तो समय की धारा के साथ बहते हुए क्यूँ न इसका आनंद लें.
प्रीत की पहली निशानी याद है
प्रीत की पहली निशानी याद है
प्यार से कहना "ओ जानी" याद है
खूबसूरत हुस्न में बाँकी अदा
और मचलती वो जवानी याद है
इश्क में डूबी ,पिघलती इक शमा
शोख औ नटखट दिवानी याद है
वो मिलन की बेकरारी, वो कशिश
वो तड़प दिल की रूहानी याद है
बात करते और लखते चाँद को
रात जो बीती सुहानी याद है
दिल्लगी ही दिल्लगी में दिल गया
दिल की "दिल्ली" राजधानी याद है
देखकर उसको जुदाई के समय
आँख से झरता वो पानी याद है
"स्वप्न" कैसे भूल सकता है उन्हें
दिल को जो बातें पुरानी याद हैं.
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क्या कहें ?
क्या कहें कुछ आज, कहने को नहीं है
कुछ गिला या कोई, शिकवा भी नहीं है
कौन तोड़े ,मौन, पहले, थी प्रतीक्षा
जिसके चलते हम कहीं , अब वो कहीं है
जिंदगी भर प्यार से ,जिसको पुकारा
दे दुआएं दिल ने, जिस दिल को दुलारा
वो जहाँ था , आज तक भी तो वहीँ है
क्या कहें कुछ आज..........................
दिल तो कहता ,वो नहीं भूलेंगे हमको
अब भी लगता है, वो आ छू लेंगे हमको
पर नहीं आयेंगे वो, ये ही सही है
क्या कहें कुछ आज.......................
कितना, किसको प्यार करता है कोई, क्यूँ?
कितना दिल को वार करता है कोई क्यूँ?
इसका उत्तर दे, बही, ऐसी कहीं है?
क्या कहें कुछ आज.......................
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14 टिप्पणियां:
"स्वप्न" कैसे भूल सकता है उन्हें
दिल को जो बातें पुरानी याद हैं.
दिल की पुरानी बातें यादों की शक्ल में हमें भरमाती रहती ही हैं
सुन्दर रचनाएँ
बहुत सुन्दर और सटीक रचनाएँ लिखी हैं आपने!
प्रेम दिवस की हार्दिक बधाई!
प्रीत की पहली निशानी याद हैप्यार से कहना "ओ जानी" याद है
waah .........in panktiyon ne hi man moh liya........sundar rachnayein.
Behad khobsoorat rachnayen hain, dono bhee!
वो मिलन की बेकरारी, वो कशिश
वो तड़प दिल की रूहानी याद है ..
वाह ... वेलेंटाइन डे पर ग़ज़ब की कहानी लिख दी .... क्या कमाल का लिखा है .... वो तड़प दिल की रूहानी याद है ....
हम्म्म तो ये बात है , आज तो आप पुरे शबाब पर हैं इस ख़ास दिवस के लिए ..
पहली रचना के सभी शे'र कमाल के हैं हर शे'र पर आकर अटक गया था ... और सोच रहा था के आंटी को तो पता होगा ही के ऐसे आप इस उम्र में भी ऐसे आशिकाना लिख रहे हो .. :)
हा हा हा .. वाकई ग़ज़ल बेहतरीन बनी है ...
दूसरी रचना में पहला पैर पढ़ के सकते में आगया कमाल की बात की है आपने ...
बधाई कुबूलें इस खास मुक़द्दस पर बेहतरीन रचनाओं के लिए ..
अर्श
समय के साथ तो चलना ही चाहिये । पहली रचना ने गुलाम अली साहेब की गाई गजल ""याद है ""की याद दिलादी और कौन मौन तोडे पहले (ईगो ) के कारण विछोह हो गया ।अच्छी रचना
बहुत सुन्दर रचना है।,ये अर्श बच्चा भी अब मजाक करने लगा है । समसामयिक रचना के लिये बधाई ।
"स्वप्न" कैसे भूल सकता है उन्हें
दिल को जो बातें पुरानी याद हैं.
bahut khoobsurat sher
आपने तो बहुत अच्छी कविता लिखी. कभी मेरे ब्लॉग पर भी आयें.
vishesh avasar par vishesh rachna rahi
वो मिलन की बेकरारी, वो कशिश
वो तड़प दिल की रूहानी याद है
इश्क में डूबी ,पिघलती इक शमाशोख औ नटखट दिवानी याद है
bahut khoob
dekh kar usko
judaaii ke samay
aankh se jhartaa
wo paani yaad hai
bahut khoob
payaar aur shringaar mein
doobi sundar rachnaaeiN
dono shaandaar .
दोनों ही रचनाएँ मन के भावों को सरलता और सफलता से अभिव्यक्त कर रही हैं.
पहली ग़ज़ल में बड़ी ही खूबसूरती से मन kee व्यथा कह दी है ..
दूसरे गीत में मन भ्रम की स्थिति में है इंतज़ार और अनिश्चितता लिए हुए.
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[aap ke blog par aate hi...Header mein राधा कृष्ण की इतनी खूबसूरत तस्वीर देख कर मन प्रसन्न हो जाता है.]
bahut sundar bhajan hau gun gunaa rahee hooMM| badhaaI
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