उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

सोमवार, 15 मार्च 2010

बस यही मुश्किल है



प्रस्तुत है एक और पुरानी लिखी रचना.
 

बस यही मुश्किल है 

तोड़ दूं कसमें तमाम, और वादे भूल जाऊं
बस यही मुश्किल है मेरी , कैसे मैं उसको भुलाऊं
मुझसे ज्यादा कीमती हैं अश्क मेरे यार के
है अभी नादान मेरा यार क्यूँ उसको रुलाऊं

कोई सब कुछ जानते भी जब बने अनजान सा
है यही मुश्किल कि उस्ससे  क्या छिपाऊं क्या बताऊँ

कोई फब्ती ही नहीं तस्वीर  दिल के फ्रेम में
है यही मुश्किल कि उसको छोड़ कर किसको सजाऊं

याद ही  कोई नहीं है नाम एक उसके सिवा
है यही मुश्किल कि उसको छोड़ कर किसको बुलाऊं



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22 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

मुझसे ज्यादा कीमती हैं अश्क मेरे यार के है
अभी नादान मेरा यार क्यूँ उसको रुलाऊं
सुन्दर भाव

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत अच्छी लगी आपकी रचना। आपकी मुश्किल आसान हो शुभकामनायें

Udan Tashtari ने कहा…

क्या बात है..है तो मुश्किल!! उम्दा रचना!

Dev ने कहा…

वाह !!!.....मन के भावों को बड़ी नाजुकता से शब्दों का रूप दिया है आपने .......बहुत सुन्दर रचना

अजय कुमार ने कहा…

अपनों को भूलना आसान नही

Alpana Verma ने कहा…

मुझसे ज्यादा कीमती हैं अश्क मेरे यार के
है अभी नादान मेरा यार क्यूँ उसको रुलाऊं

वाह!बहुत ही उम्दा !

***भावपूर्ण रचना .
पहले की लिखी रचना पढवाने के लिए आभार.
पुरानी या नयी रचना...लेखक का उस से एक सा जुड़ाव या कहिये रिश्ता रहता है.

Puneet Sahalot ने कहा…

namastey uncle..!!!

bahut hi achha likha hai..

"याद ही कोई नहीं है नाम एक उसके सिवाहै यही मुश्किल कि उसको छोड़ कर किसको बुलाऊं"

BrijmohanShrivastava ने कहा…

मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै

vandana gupta ने कहा…

bahut hi behtreen bhav.

Prem Farukhabadi ने कहा…

सुन्दर भाव.वाह!बहुत ही उम्दा !

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

याद ही कोई नहीं है नाम एक उसके सिवा
है यही मुश्किल कि उसको छोड़ कर किसको बुलाऊं

और किसी को बुलाने की क्या जरुरत है ......योगेश जी .....???
ये कस्में निभाना भी हर किसी के बस का नहीं .....!!

kunwarji's ने कहा…

"मुझसे ज्यादा कीमती हैं अश्क मेरे यार केहै अभी नादान मेरा यार क्यूँ उसको रुलाऊं"
कि उस्ससे क्या छिपाऊं क्या बताऊँ
बस यही मुश्किल है जी,
बिलकुल सही कहा है आपने!आप से पुर्णतः सहमत!


कुंवर जी,

Milind Phanse ने कहा…

मुझसे ज्यादा कीमती हैं अश्क मेरे यार के
है अभी नादान मेरा यार क्यूँ उसको रुलाऊं

वाह.

Bhawna ने कहा…

सुन्दर भाव.वाह!

Prem Farukhabadi ने कहा…

वाह!बहुत ही उम्दा! भावपूर्ण रचना.

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

aadarniya sir,ek sach ko bayan karati behatarin gajal.
poonam

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मुझसे ज्यादा कीमती हैं अश्क मेरे यार के
है अभी नादान मेरा यार क्यूँ उसको रुलाऊं

जज़्बात को बखूबी बयां किया है...खूबसूरत रचना..

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच है भुलाना आसान नही होता .... अच्छा लिखा है ...

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

वाह बहुत सुन्दर रचना. सत्य का उद्घोष करती.बधाई.

निर्झर'नीर ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना.

ज्योति सिंह ने कहा…

बस यही मुश्किल है
तोड़ दूं कसमें तमाम, और वादे भूल जाऊंबस यही मुश्किल है मेरी , कैसे मैं उसको भुला
bahut sundar rachana ,komal ahsaas se judi

shama ने कहा…

Kya gazbki rachana hai! Mai avak ho jati hun!