सोच रहा हूँ ऐसा कोई गीत बनाऊं
जिसको सुन तुम रुक ना पाओ आ जाओ
ऐसा कोई गीत ह्रदय से फूटा हो
लगता हो ज्यों ह्रदय किसी का टूटा हो
किसी चोर ने प्यार किसी का लूटा हो
बिना वजह या कोई किसी से रूठा हो
सोच रहा हूँ................................
ऐसा कोई गीत प्यार से सराबोर हो
खींच लाये जो तुमको लेकिन बिना डोर हो
जग की सारी प्रेम सुधा का जो निचोड़ हो
मेरे अनुरागी जीवन का नया मोड़ हो
सोच रहा हूँ.................................
ऐसा कोई गीत आज तक बना न हो
जिसको सुन आंसू का दरिया थमा ना हो
साया बन कर साथ चले तुम तनहा न हो
भूल पाओ तुम ऐसा कोई लम्हा न हो
सोच रहा हूँ....................................
योगेश स्वप्न
20 टिप्पणियां:
बहुर सुंदर गीत है......भाव भी लाजवाब हैं
बधाई
रचना तो सुन्दर है ही आप की टेम्पलेट का हेडर भी लाजवाब है । धन्यवाद ।
क्या कहने क्या कहने
नमस्कार,
बहोत ही खुबसूरत गीत लिखी है आपने... आखिरी अन्तर के क्या कहने ..ढेरो बधाई आपको..
अर्श
सोच रहा हूँ ऐसा कोई गीत बनाऊँ
जिसको सुन तुम रुक न पाओ आ जाओ
ख्याल तो अच्छे हैं स्वप्न जी... बनाने में क्या हर्ज़ है.....!!
सुंदर गीत ....!!
बहुत सुन्दर गीत है। बहुत अच्छा लगा।बधाई।
ऐसा कोई गीत आज तक बना न हो
जिसको सुन आंसू का दरिया थमा ना हो
साया बन कर साथ चले तुम तनहा न हो
भूल पाओ तुम ऐसा कोई लम्हा न होसोच रहा
"ऐसा कोई गीत आज तक बना न हो
जिसको सुन आंसू का दरिया थमा ना हो
साया बन कर साथ चले तुम तनहा न हो
भूल पाओ तुम ऐसा कोई लम्हा न हो"
bas iske aage kuchh nahi likhunga.. ye kaafi h...
'जग की सारी प्रेम सुधा का जो निचोड़ हो
मेरे अनुरागी जीवन का नया मोड़ हो'
बहुत सुन्दर गीत लिखा है आप ने स्वप्न जी.
मन के सरल भाव लिए हुए.
पुरानी डायरी से आया नवल गीत सुन्दर है।
शायद लोटे में आ गया समन्दर है।
ऐसा कोई गीत आज तक बना न होजिसको सुन आंसू का दरिया थमा ना हो
साया बन कर साथ चले तुम तनहा न होभूल पाओ तुम ऐसा कोई लम्हा न होसोच रहा हूँ....................................
वाह .......क्या बात है .........बहुत खुब .......आज सही कोई शब्द नही है!!!!!!
कमाल की पंक्तियाँ है................बहुत खुब
sawapanji lajvab hai apki bhavaviakti
paak sosti kaa takaza hai
vo aayenge kabhi jaroor
abhi sitare gardish me hain
jo rehmate nazar hua karte the
har pankti , har bhav lajawab hai.
सुन्दर कल्पना है स्वपन जी...........गीत के माध्यम से रोचक संसार बुना है अपने
तक़दीर के खेल से निराश नहीं होते,
ज़िन्दगी में कभी उदास नहीं होते ,
हांथो की लकीरों पे यंकी मत कर,
तकदीर तो उनकी भी होती है,
जिनके हाँथ नहीं होते |
चूकिए मत! बना डालिए.
गीत तो बन गयी है योगेश जी और वो भी इतनी खूबसूरत कि क्या कहें
साया बन कर साथ चले तुम तनहा न हो
भूल पाओ तुम ऐसा कोई लम्हा न हो
-सुन्दर.
sundar bhaav
aapki "kabhi inkar chutki mein kabhi ikraar chutki mein "
ye gazal kahin or padhi thii sundar gazal kahi aapne yakinan kabil-e-tariif
yun to ittifaq se hi aana hua blog pe par aapko padhna accha lagaa .
Behad sundar rachnaa hai..isse zyada alfaz nahee...aur kin panktiyonko shaamil kar loon? Zaahir hai, harek panktee chunidaa hai...
Aapke blog kaa sheershak geet bhee aprateem hai..
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