उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

शुक्रवार, 8 मई 2009

आदर करूंगा , खुशामद नहीं.........

आदर करूंगा , खुशामद नहीं
अभी इतना छोटा, मेरा कद नहीं

जो सर को झुका दे मेरा, रौब से
अभी इतना ऊंचा, तेरा पद नहीं

अभी तक तो कायम है, ईमां मेरा
भले तू हो कोई, मैं हर्षद नहीं

तेरी ही दया के, सहारे जियूं
नहीं मैं लता, तू भी बरगद नहीं

मैं उसका सनेही, जो मदहीन है
है जिसकी कृपा की, कोई हद नहीं

30 टिप्‍पणियां:

संध्या आर्य ने कहा…

mousam ke anurup hai....achchhaa hai

Vinay ने कहा…

aapke liye man mein aadar sada rahega, aisee sundar rachna ke liye mujhe khushi hai

----
चाँद, बादल और शामगुलाबी कोंपलें

"अर्श" ने कहा…

badhiya kahan hai ... magar tisara she'r samajh nai paaya harshad waali..


badhaayee
arsh

बेनामी ने कहा…

sunder panktiyan

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर लगी आपकी यह रचना भी ..

sanjiv gautam ने कहा…

achchhi hai.

Alpana Verma ने कहा…

तेरी ही दया के, सहारे जियूं
नहीं मैं लता, तू भी बरगद नहीं

-बहुत खूब!

गहरे आत्म विश्वास से भरी रचना.

hempandey ने कहा…

'मैं उसका सनेही, जो मदहीन है
है जिसकी कृपा की, कोई हद नहीं'
- सौ बात की एक बात.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह स्वपन जी
उम्दा तेवर हैं इस रचना में...........
हर शेर......कुछ नए आत्मविश्वास को दिखाता है.......

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

कमाल कर दिया भाई योगेश जी, इस गजल में क्या खूब काफिये निभाये,,,,,,,,
इससे पहली गजल aajkal के bhi कुछ शेर bahut बेहतरीन हैं. मजा आ गया पढ़ कर. शतशः बधाई.... वाहवा.

Yogendramani ने कहा…

आदर करूंगा खुशामद नहीं....
बहूत अच्छा लिखा है ।

ज्योति सिंह ने कहा…

bahut sundar rachna .mein hamesha aapki rachna padti rahti hoon magar jawab nahi de pai iske liye maphi chahti hoon .

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

तेरी ही दया के, सहारे जियूं
नहीं मैं लता, तू भी बरगद नहीं

बहुत खूब.......!!

निर्मला कपिला ने कहा…

vah svapanjeebahut badiyaa likhaa hai aaj kal itani saaf goi bhi achhi nahi log jal jaate hain
arshji ko bataa deM ki harshad ka matlav harshad mehta yaani beimaan chor aadmi nahiM haiM aap
shubhkaamnaayen

प्रकाश गोविंद ने कहा…

bahut khoob

pathneey rachna hai .

ye panktiyan to behad aakarshak hain :
तेरी ही दया के, सहारे जियूं
नहीं मैं लता, तू भी बरगद नहीं

aasha hai aage bhi aisi hi sundar rachnayen padhne ko milengi.

vandana gupta ने कहा…

waah , kya baat hai.......bahut badhiya

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

sundar rachanaa....

Sajal Ehsaas ने कहा…

poori rachna bahut achhi hai...aur shuru ki panktiyo me dikhti naveenta kamaal ki hai....

daanish ने कहा…

एक सराहनीय सुन्दर रचना ....
व्यक्तित्व के अन्दर कहीं गहरे झाँकने
का सफल प्रयास ...
बधाई
---मुफलिस---

शोभना चौरे ने कहा…

आदर करूंगा , खुशामद नहीं
अभी इतना छोटा, मेरा कद नही
bhut ghri bat khi hai
badhai

Urmi ने कहा…

बहुत ही ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! मुझे बेहद पसंद आया!

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

आदर करूंगा , खुशामद नहीं
अभी इतना छोटा, मेरा कद नही

सही व्यक्तित्व की सही अभिव्यक्ति

बधाई.

चन्द्र मोहन गुप्त

शुभ ने कहा…

धन दौलत सत्ता के लिए किसी भी हद तक गिरने वाली दुनिया के बीच स्वाभिमानी लोगों को सम्बल देती आपकी कविता वाकई काबिले तारीफ़ है।

Puneet Sahalot ने कहा…

kya baat hai uncle...
chunaav ka rang chadh raha hai rachnaao par... hmm.. :)

bahut hi achha likha hai aapne.
:)

महावीर ने कहा…

बहुत सुंदर रचना है।

तेरी ही दया के, सहारे जियूं
नहीं मैं लता, तू भी बरगद नहीं
ये पंक्तियां बहुत अच्छी लगीं।
महावीर शर्मा

ALOK PURANIK ने कहा…

क्या कहने क्या कहने। काहे को करें खुशामद किसी की।

maandarpan ने कहा…

aapke liye man mein aadar sada rahega, aisee sundar rachna ke liye mujhe khushi hai

निर्झर'नीर ने कहा…

ati sundar ..dilkash ,man mohak,bhaav

गर्दूं-गाफिल ने कहा…

अभी तक तो कायम है, ईमां मेरा
भले तू हो कोई, मैं हर्षद नहीं

तेरी ही दया के, सहारे जियूं
नहीं मैं लता, तू भी बरगद नहीं


स्वप्न जी कमाल का काफिया ढूँढा है और निबाहा भी है
गजल के साथ मुहावरे भी गढे है भाषा को समृद्ध करने का यह प्रयास अभिनन्दनीय है
बधाई

Rajat Narula ने कहा…

बहुत ही सशक्त रचना है... simply superb...