आदर करूंगा , खुशामद नहीं
अभी इतना छोटा, मेरा कद नहीं
जो सर को झुका दे मेरा, रौब से
अभी इतना ऊंचा, तेरा पद नहीं
अभी तक तो कायम है, ईमां मेरा
भले तू हो कोई, मैं हर्षद नहीं
तेरी ही दया के, सहारे जियूं
नहीं मैं लता, तू भी बरगद नहीं
मैं उसका सनेही, जो मदहीन है
है जिसकी कृपा की, कोई हद नहीं
अभी इतना छोटा, मेरा कद नहीं
जो सर को झुका दे मेरा, रौब से
अभी इतना ऊंचा, तेरा पद नहीं
अभी तक तो कायम है, ईमां मेरा
भले तू हो कोई, मैं हर्षद नहीं
तेरी ही दया के, सहारे जियूं
नहीं मैं लता, तू भी बरगद नहीं
मैं उसका सनेही, जो मदहीन है
है जिसकी कृपा की, कोई हद नहीं
30 टिप्पणियां:
mousam ke anurup hai....achchhaa hai
aapke liye man mein aadar sada rahega, aisee sundar rachna ke liye mujhe khushi hai
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चाँद, बादल और शाम । गुलाबी कोंपलें
badhiya kahan hai ... magar tisara she'r samajh nai paaya harshad waali..
badhaayee
arsh
sunder panktiyan
बहुत सुंदर लगी आपकी यह रचना भी ..
achchhi hai.
तेरी ही दया के, सहारे जियूं
नहीं मैं लता, तू भी बरगद नहीं
-बहुत खूब!
गहरे आत्म विश्वास से भरी रचना.
'मैं उसका सनेही, जो मदहीन है
है जिसकी कृपा की, कोई हद नहीं'
- सौ बात की एक बात.
वाह स्वपन जी
उम्दा तेवर हैं इस रचना में...........
हर शेर......कुछ नए आत्मविश्वास को दिखाता है.......
कमाल कर दिया भाई योगेश जी, इस गजल में क्या खूब काफिये निभाये,,,,,,,,
इससे पहली गजल aajkal के bhi कुछ शेर bahut बेहतरीन हैं. मजा आ गया पढ़ कर. शतशः बधाई.... वाहवा.
आदर करूंगा खुशामद नहीं....
बहूत अच्छा लिखा है ।
bahut sundar rachna .mein hamesha aapki rachna padti rahti hoon magar jawab nahi de pai iske liye maphi chahti hoon .
तेरी ही दया के, सहारे जियूं
नहीं मैं लता, तू भी बरगद नहीं
बहुत खूब.......!!
vah svapanjeebahut badiyaa likhaa hai aaj kal itani saaf goi bhi achhi nahi log jal jaate hain
arshji ko bataa deM ki harshad ka matlav harshad mehta yaani beimaan chor aadmi nahiM haiM aap
shubhkaamnaayen
bahut khoob
pathneey rachna hai .
ye panktiyan to behad aakarshak hain :
तेरी ही दया के, सहारे जियूं
नहीं मैं लता, तू भी बरगद नहीं
aasha hai aage bhi aisi hi sundar rachnayen padhne ko milengi.
waah , kya baat hai.......bahut badhiya
sundar rachanaa....
poori rachna bahut achhi hai...aur shuru ki panktiyo me dikhti naveenta kamaal ki hai....
एक सराहनीय सुन्दर रचना ....
व्यक्तित्व के अन्दर कहीं गहरे झाँकने
का सफल प्रयास ...
बधाई
---मुफलिस---
आदर करूंगा , खुशामद नहीं
अभी इतना छोटा, मेरा कद नही
bhut ghri bat khi hai
badhai
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! मुझे बेहद पसंद आया!
आदर करूंगा , खुशामद नहीं
अभी इतना छोटा, मेरा कद नही
सही व्यक्तित्व की सही अभिव्यक्ति
बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
धन दौलत सत्ता के लिए किसी भी हद तक गिरने वाली दुनिया के बीच स्वाभिमानी लोगों को सम्बल देती आपकी कविता वाकई काबिले तारीफ़ है।
kya baat hai uncle...
chunaav ka rang chadh raha hai rachnaao par... hmm.. :)
bahut hi achha likha hai aapne.
:)
बहुत सुंदर रचना है।
तेरी ही दया के, सहारे जियूं
नहीं मैं लता, तू भी बरगद नहीं
ये पंक्तियां बहुत अच्छी लगीं।
महावीर शर्मा
क्या कहने क्या कहने। काहे को करें खुशामद किसी की।
aapke liye man mein aadar sada rahega, aisee sundar rachna ke liye mujhe khushi hai
ati sundar ..dilkash ,man mohak,bhaav
अभी तक तो कायम है, ईमां मेरा
भले तू हो कोई, मैं हर्षद नहीं
तेरी ही दया के, सहारे जियूं
नहीं मैं लता, तू भी बरगद नहीं
स्वप्न जी कमाल का काफिया ढूँढा है और निबाहा भी है
गजल के साथ मुहावरे भी गढे है भाषा को समृद्ध करने का यह प्रयास अभिनन्दनीय है
बधाई
बहुत ही सशक्त रचना है... simply superb...
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