महफूज़ अब तो देश का,
"साहिल" नहीं रहा
लोगों का कत्ल-ए-आम अब
"मुश्किल" नहीं रहा
कैदी बना के कुछ उसे
"हासिल" नहीं रहा
कानून की पनाह में
"कातिल" नहीं रहा
दामाद देश का वो (क)साब
"जाहिल" नहीं रहा
आतंकियों का अंत क्यूँ
"मंजिल" नहीं रहा.
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18 टिप्पणियां:
बहुत खुब, सुन्दर रचना के लिए बधाई। हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई
waah bahut hi khub ......bilkul prawahmay rachana ....atisundar...........dil ko chhoo gayi
बहुत खूब !!
बहुत उम्दा रचना!!
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरू करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.
जय हिन्दी!
कानून ही ऐसे हैं , जो कातिलों को पनाह देते हैं ...तो साहिल महफूज़ कैसे रहेंगे ?
शामके ब्लॉग का URL दे रही हूँ...पढ़े: गज़ब कानून.
URL:
http://lalitlekh.blogspot.com
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
पढ़ें: "कब होगा अंत?"
lajawaab ........ swapan ji ....... bahoot hi kamaal लिखा है .............. देश के netaa लोगों को padhna chaahiye इसे ..... सच में kasaab को daamaad bana कर rakkha huva है ....
सही सवाल उठाये हैं आपने...वाह
नीरज
waah yogesh ji..........thode mein hi bahut kuch kah diya...........aur sach kaha..........kasaab ko damad bana rakha hai uski suraksha par desh ka kitna paisa lag raha hai iska andaza bhi nhi hai.........desh,samaj aur netaon ke moonh par ek jordar tamacha hai.
वाह.. वाह...।
बहुत बढ़िया।
देखन में छोटो लगें,
घाव करें गम्भीर!!
गहरी बात कही है।
wow uncle kitna acha likha hain
bahut hi sundar ,aakhari line behad shandar hai .main ek mahine se bahar rahi is karan blog par na aa saki .par ab safar jaari kar di .
bahut hi meetha geet hai man ko chhune wala .bahut sundar likhate hai aap .
दिल को झकझोरने वाली रचना. छोटी बहर में इतनी कुशलता से निर्वाह कभी-कभी ही मिलता है.
बहुत सुन्दर........बहुत सटीक...बधई ।
योगेश भाई,
वर्तमान को परिभाषित करती रचना सराहनीय है बधाई!!
स्वप्न जी,
दिल जीत लिया आपकी इस रचना ने...
बधाई !!
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