उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

सोमवार, 14 सितंबर 2009

महफूज़ अब तो देश का, "साहिल" नहीं रहा

महफूज़ अब तो देश का,
"साहिल" नहीं रहा

लोगों का कत्ल-ए-आम अब 
"मुश्किल" नहीं रहा

कैदी बना के कुछ उसे 
"हासिल" नहीं रहा

कानून की पनाह में 
"कातिल" नहीं रहा

दामाद देश का वो (क)साब 
"जाहिल" नहीं रहा

आतंकियों का अंत क्यूँ 
"मंजिल" नहीं रहा.
******

18 टिप्‍पणियां:

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत खुब, सुन्दर रचना के लिए बधाई। हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई

ओम आर्य ने कहा…

waah bahut hi khub ......bilkul prawahmay rachana ....atisundar...........dil ko chhoo gayi

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत खूब !!

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा रचना!!

Udan Tashtari ने कहा…

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.

कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरू करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.

जय हिन्दी!

kshama ने कहा…

कानून ही ऐसे हैं , जो कातिलों को पनाह देते हैं ...तो साहिल महफूज़ कैसे रहेंगे ?
शामके ब्लॉग का URL दे रही हूँ...पढ़े: गज़ब कानून.
URL:
http://lalitlekh.blogspot.com

http://shamasansmaran.blogspot.com

http://shama-kahanee.blogspot.com

पढ़ें: "कब होगा अंत?"

दिगम्बर नासवा ने कहा…

lajawaab ........ swapan ji ....... bahoot hi kamaal लिखा है .............. देश के netaa लोगों को padhna chaahiye इसे ..... सच में kasaab को daamaad bana कर rakkha huva है ....

नीरज गोस्वामी ने कहा…

सही सवाल उठाये हैं आपने...वाह
नीरज

vandana gupta ने कहा…

waah yogesh ji..........thode mein hi bahut kuch kah diya...........aur sach kaha..........kasaab ko damad bana rakha hai uski suraksha par desh ka kitna paisa lag raha hai iska andaza bhi nhi hai.........desh,samaj aur netaon ke moonh par ek jordar tamacha hai.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वाह.. वाह...।
बहुत बढ़िया।

देखन में छोटो लगें,
घाव करें गम्भीर!!

Unknown ने कहा…

गहरी बात कही है।

shweta ने कहा…

wow uncle kitna acha likha hain

ज्योति सिंह ने कहा…

bahut hi sundar ,aakhari line behad shandar hai .main ek mahine se bahar rahi is karan blog par na aa saki .par ab safar jaari kar di .

ज्योति सिंह ने कहा…

bahut hi meetha geet hai man ko chhune wala .bahut sundar likhate hai aap .

संजीव गौतम ने कहा…

दिल को झकझोरने वाली रचना. छोटी बहर में इतनी कुशलता से निर्वाह कभी-कभी ही मिलता है.

Yogendramani ने कहा…

बहुत सुन्दर........बहुत सटीक...बधई ।

Prem Farukhabadi ने कहा…

योगेश भाई,
वर्तमान को परिभाषित करती रचना सराहनीय है बधाई!!

Pratyush Garg ने कहा…

स्वप्न जी,

दिल जीत लिया आपकी इस रचना ने...
बधाई !!