उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009

जिंदगी में प्यार की...........

जिंदगी में प्यार की सबको ज़रुरत है
हर किसी के मन बसी एक खूब सूरत है

चल किसी मोहताज़ की कुछ मदद कर दें
मत घड़ी को देख ये अच्छा  मुहूरत है

हर बशर एक सा है मिटटी से बना एक
हर बशर में एक ही रब की तो मूरत है

मैं कहाँ हस्ती कहाँ मेरी जो बोलूं
रब के बारे में , कहाँ मेरी ये जुर्रत है?

जोड़ना गर चाहता है उससे नाता
दे सदा उसको अगर थोडी भी हसरत  है


http://swapnyogeshverma.blogspot.com/2009/10/blog-post_10.html  "तुम्हारे लिए" भी देखें.

17 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

योगेश जी बहुत सुन्दर रचना है।

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना .आभार

अपूर्व ने कहा…

कितनी अच्छी बात कही है, हम कोई भला काम करने से पहले कितने मुहूर्त निकालते हैं..और प्रतीक्षा करते है उन अनगिनत गवाहों कि जो कि बाद मे दुनिया मे हमारे भले होने का ढिंढोरा पीट सकें...आंखें खोलती हुई ग़ज़ल.

Alpana Verma ने कहा…

बहुत दिनों बाद आपने ग़ज़ल पोस्ट की.
'हर बशर एक सा है...'शेर पसंद आया.

अच्छी ग़ज़ल है .
आभार

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

बहुत खूब...हर एक ग़ज़ल बेजोड़..अच्छा लगा पढ़ कर.

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा...आनन्द आ गया.

M VERMA ने कहा…

प्यार बिना ज़िन्दगी कहाँ! प्यार की जरूरत तो सबको ही है.
बहुत सुन्दर भाव पिरोया है
बहुर खूबसूरत रचना

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

हर बशर एक सा है मिटटी से बना एक
हर बशर में एक ही रब की तो मूरत है

बहुत सुन्दर!
बधाई!

"अर्श" ने कहा…

rachanaa ke bhav paksh achhe hai



aabhaar
arsh

kshama ने कहा…

"soorat, mahoorat,moorat, jurrat, hasrat' in shabdon kaa intaa khoobsoorat istemaal kiya hai....waah!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

vaah . कमाल के का लिखा है swapan जी ........... मज़ा आ गया पढ़ कर ......

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

जोड़ना गर चाहता है उससे नाता
दे सदा उसको अगर थोडी भी हसरत है

ये शे'र लाजवाब लगा .......नाता जोड़ने के लिए सदा तो देनी ही पड़ेगी .....बहुत खूब .....!!

निर्मला कपिला ने कहा…

योगेश जी आपकी लगन तो आज कल पूरी तरह से उस मे लग गयी है और हर रचना मे भक्तिभाव होता है ।सही अच्छे काम के लिये किसी महूरत की जरूरत नहीं होती। और ये भी कि अगर उसे दिल से पुकारो तो वो जरूर सुनता है। लाजवाब रचना है बधाई

अजय कुमार ने कहा…

chahiye thoda pyar, thoda pyar chahiye

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

चल किसी मोहताज़ की कुछ मदद कर दें
मत घडी को देख ये अच्छा मुहरत है

..............ग़ज़ल बहुत बढ़िया हर शेर दबंग.

बधाई.

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

ओम आर्य ने कहा…

आत्मिक सुख दे गयी आपकी यह रचना ....बहुत बहुत बधाई!

Prem Farukhabadi ने कहा…

अति सुन्दर भाई . बधाई!!