उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

बुधवार, 16 दिसंबर 2009

आदमी

आदमी(इंसान नहीं )
 
आदमी को मार कर खायेगा आदमी
एक दिन ऐसा भी अब आएगा आदमी


जानवर को मात कर जाएगा आदमी
अपना असली रूप दिखलायेगा आदमी


बेशरम हो अब ना शरमाएगा आदमी
और रब से भी ना घबराएगा आदमी


कैसे कैसे ज़ुल्म अब ढाएगा आदमी
ज़ुल्म-ओ-सितम की आग बरसायेगा आदमी


आँख में फूले फलेगा बाल सूअर का
जब भी नेता बन के आ जाएगा आदमी



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21 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार झा ने कहा…

हां सच कह रह हैं आप बहुत जल्द ही ऐसा दिन भी आने वाला ही है

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया!!

M VERMA ने कहा…

विद्रूप हकीकत बयाँ की है आपने
बेहतरीन

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

ऐसे दिन की भूमिका बंध गई है जी!

Udan Tashtari ने कहा…

सच कहा आपने!!

vandana gupta ने कहा…

ek katu hakeekat ko bayan kiya hai aur sach kaha hai.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच कहा ऐसा समय आने वाला है ......... बहुत लाजवाब लिखा है .........

निर्मला कपिला ने कहा…

स्वपन जी बहुत सुन्दर गज़ल है बधाई कई दिन से इस ब्लाग पर नहीं आ पाई क्षमा चाहती हूँ। दूसरे ब्लाग से ही लैट जाती थी। शुभकामनायें

ALOK PURANIK ने कहा…

इतना ना डराइये, इतना नहीं डरेगा
जमाये रहिए।

Prem Farukhabadi ने कहा…

yogesh ji,
Sach kaha hai apne. aise hi asaar nazar aa rahe hain.badhai!!

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

behter abhivyakti....

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

बहुत अच्छी एवं सुन्दर रचना
बहुत -२ आभार

Alpana Verma ने कहा…

आदमी का विकृत रुप.वर्तमान और भविष्य!

रचना दीक्षित ने कहा…

पहली बार आपके ब्लॉग पर आना सार्थक हो गया.आपकी पुरानी कई रचनाएँ पढ़ीं निशब्द और मौन हो गयी हूँ
आभार

kumar zahid ने कहा…

जानवर को मात कर जाएगा आदमी
अपना असली रूप दिखलायेगा आदमी
bhayavah hai chitra magar sachcha hai.

ज्योति सिंह ने कहा…

aadmi apna swaroop badla raha ,aese me to rakshak hi bhkshak ho jaayega aur kai had tak ho bhi gaya ,tulna ke liye rakshas shabd hi lupt ho gaya ,dekh tere sansaar ki haalat kya hogi bhagvaan.......
arthpoorn ,gambhirta ka vishya ..

गर्दूं-गाफिल ने कहा…

स्वप्न जी
कृष्ण भक्ती से लोक भक्ती में रम रहे हो धीरे धीरे जम रहे हो
शुभ कामनाये

निर्झर'नीर ने कहा…

haalaat to kuch aise hi ho rahe hai..

hem pandey ने कहा…

आदमी का यह रूप दिखाना प्रारम्भ हो चुका है.

गौतम राजऋषि ने कहा…

शिर्षक ही इतना लाजवाब था कि क्या कहें योगेश जी।

लाजवाब रचना!

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

बहुत खूब अच्छी रचना
बधाई स्वीकारें