ताउम्र मेरे ज़हन में आता रहा एक नाम
हर नज़्म हर एक गीत में गाता रहा एक नाम
दे दे के सदा मुझको बुलाता रहा एक नाम
पीड़ा से मुझको अपनी रुलाता रहा एक नाम
आंसुओं से देख लो ये भर गया दामन
खैरात खुले हाथ लुटाता रहा एक नाम
मजबूरियां थीं कोई जाना पड़ा विदेश
राधा-सा , फिर भी साथ निभाता रहा एक नाम
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4 टिप्पणियां:
हर नज़्म हर एक गीत में गाता रहा एक नाम
बहुत अच्छी सोच!
राधा-सा , फिर भी साथ निभाता रहा एक नाम ...
बहुत सुंदर बिंदास परिकल्पना है लिखते रहिये पर वर्ड वेरिफिकेशन हटाने का कष्ट करे श्रीमान जी फारमूला मैंने आपको भेजा था पर अपने कोई विचार नही किया . वर्ड वेरिफिकेशन होने से लोग टीप देने में परहेज करते है और देख कर आगे बढ़ जाते है कृपया इसे कतई न ले.
kya baat hai bahut sundar gazal khas kar aakharisher waah waah,radha sa saath nibhata raha.....atisundar
kya bat hai ankal.bahut sudar gajal hai!
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