उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

गुरुवार, 8 जनवरी 2009

मेरी प्रीत का झरना....................



मेरी प्रीत का झरना , बहता रहा सदा



ना जाने क्यूँ , तुमने गागर भरी नहीं





पत्थर पत्थर सर को पटका, जंगल जंगल भूला भटका



तुम अपनी निष्ठुरता देखो, नज़र इधर तक करी नहीं



मेरी प्रीत का........................................................





बीत चुके हैं साल सैकडों, बीत जायेंगे साल हज़ार



अपनी गागर में भर लो बस ,हर दम होगी यही पुकार



जन्म जन्म के बाद मिलोगे, तब भी यही कहूँगा मैं



खोज रहा हूँ अब भी तुमको , मेरी निष्ठां मरी नहीं



मेरी प्रीत का.........................................................





खारा नहीं कहीं से हूँ मैं ,बूँद बूँद बेशक चख लो



झूम उठोगे अजब नशे में, एक बार दिल में रख लो



हाँ , अमृत की बूँद सही , गंगा जल सा पावन हूँ



स्वांति की एक बूँद सही पर, सावन की हूँ झरी नहीं



मेरी प्रीत का............................................................











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