धुप में झुलसा हुआ है ये जहाँ
आओ अब मिलकर कहीं छाया करेंगे
धरा पर जमने लगीं हैं पपडीयां
जिस्म की कुछ बूँद अब जाया करेंगे
जो खुशी के गीत भूले गुनगुनाना
वो खुशी के गीत फिर गाया करेंगे
सीप जो तरसी है मोती के लिए
उसको स्वांति दे के हर्षाया करेंगे
"स्वप्न" तस्वीरें बना आकाश में
अब ना मासूमों को भरमाया करेंगे
मेघदूतम की कथा दोहराएंगे ना
"कालिदासों " को ना तरसाया करेंगे
प्रेरणा: "उड़न तश्तरी " द्वारा कृष्ण भजन पर दी गई टिप्पणी " अब यही भजन गाया करेंगे"
3 टिप्पणियां:
मेघदूतम की कथा दोहराएंगे ना
"कालिदासों " को ना तरसाया करेंगे
-बिल्कुल जी. सही फरमाया, बहुत खूब. आपका आभार.
स्वप्न जी नमस्कार,
बहोत ही बढ़िया कविता ,मज़ा आगया पढ़के ... हिन्दी के कुछ ऐसे शब्द आपने डाले है सन्न कर दिया था आपने .. बेहद उम्दा लिखा है आपने...
अर्श
सीप जो तरसी है मोती के लिए
उसको स्वांति दे के हर्षाया करेंगे
Waah ! waah ! waah !
Bahut hi sundar kavita...Bhaav bhasha abhivyakti.....sab bejod.
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