उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

शनिवार, 9 जनवरी 2010

तेरी याद मेरे साथ है तन्हा नहीं हूँ मैं

लीजिये एक और रचना पुरानी डायरी से

तेरी याद मेरे साथ है तन्हा नहीं हूँ मैं 

तेरी याद मेरे साथ है, तन्हा नहीं हूँ मैं
तारों से भरी रात है ,वीरां नहीं हूँ मैं

पूछूंगा हाल जब कभी, आओगे सामने
ख़्वाबों में मुलाक़ात है, गूंगा नहीं हूँ मैं

हाँ जानता हूँ दर्द,ये आंसू, दीवानगी
सब प्यार की सौगात है, नादाँ नहीं हूँ मैं

क्यों दे रहे हो प्यार से, सपनों की टाफियां
ऐसे ही बहल जाऊँगा ,बच्चा नहीं हूँ मैं

दर्द से पैदा हुआ, लफ़्ज़ों के बल चला
क्या सोचते हो , देख, लो नगमा नहीं हूँ मैं

जागोगे नींद से  कभी,ढूंढोगे फिर मुझे
हूँ "स्वप्न" में खोया , मगर सपना नहीं हूँ मैं


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12 टिप्‍पणियां:

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

हाँ जानता हूँ दर्द,ये आंसू, दीवानगी
सब प्यार की सौगात है, नादाँ नहीं हूँ मैं..

एक खूबसूरत अंदाज में रची गई बहुत सुंदर ग़ज़ल..

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

रचना पुरानी डायरी से ही सही,
पर हमारे लिए तो नई है!

ओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती, रंग-रँगीली शुभकामनाएँ!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", उर्दू कौन सी भाषा का शब्द है?
संपादक : "सरस पायस"

kshama ने कहा…

Behtareen gazal kahee hai..waah!

Alpana Verma ने कहा…

'दर्द से पैदा हुआ, लफ़्ज़ों के बल चला
क्या सोचते हो , देख, लो नगमा नहीं हूँ मैं'

वाह! क्या खूब कहा है!

हाँ जानता हूँ दर्द,ये आंसू, दीवानगी
सब प्यार की सौगात है, नादाँ नहीं हूँ मैं

वाह!वाह!!
हर शेर लाजवाब है.
खूबसूरत ग़ज़ल.
पुरानी डायरी से इतनी बढ़िया ग़ज़ल पढ़वायी ..आभार.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

क्यों दे रहे हो प्यार से, सपनों की टाफियां
ऐसे ही बहल जाऊँगा ,बच्चा नहीं हूँ मैं ..

बहुत ही खूबसूरत शेर है स्वपन जी ....... मज़ा आ गया ग़ज़ल पढ़ कर ....

vandana gupta ने कहा…

aaj to kis kis pankti ki tarif karoon........har pankti lajawaab hai.......ek bahut hi behtreen aur umda rachna hai........badhayi.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

खूबसूरत छन्दों से सजी रचना के लिए बधाई!

रचना दीक्षित ने कहा…

दर्द से पैदा हुआ, लफ़्ज़ों के बल चला
क्या सोचते हो , देख, लो नगमा नहीं हूँ मैं

जागोगे नींद से कभी,ढूंढोगे फिर मुझे
हूँ "स्वप्न" में खोया , मगर सपना नहीं हूँ मैं

जाने क्या क्या छुपा कर रखा है इस पुरानी डायरी में.एक बहुत बेहतरीन ग़ज़ल

Milind Phanse ने कहा…

हाँ जानता हूँ दर्द,ये आंसू, दीवानगी
सब प्यार की सौगात है, नादाँ नहीं हूँ मैं

दर्द से पैदा हुआ, लफ़्ज़ों के बल चला
क्या सोचते हो , देख, लो नगमा नहीं हूँ मैं

-वाह! गझल पसंद आई.

ज्योति सिंह ने कहा…

हाँ जानता हूँ दर्द,ये आंसू, दीवानगी
सब प्यार की सौगात है, नादाँ नहीं हूँ मैं..
waah waah waah ,poori gazal hi shaandar hai .

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

मैं जनता हूँ दर्द ये आंसू ,दीवानगी
सब प्यार की सौगात है, नादां नहीं हूँ मै

ओये होए ......!!

बहुत खूब ......हर शे'र लाजवाब है ........!!

Puneet Sahalot ने कहा…

namastey uncle... kya baat hai... kayi dino se purani diary ki pitaaraa khulaa huaa hai... :)

ek or achhi rachna..