उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

शुक्रवार, 26 दिसंबर 2008

अजनबी सा.............................

अजनबी सा लग रहा है ये शहर
जैसे इससे वास्ता कोई न था

घूम फिर कर फिर वहीँ पर आ गए
कोई मंजिल रास्ता कोई न था

क्यूँ किसी से प्यार की उम्मीद की
बस उधारी थी जमा कोई न था

कर दिया खाली किराये का मकान
लामकां थे हम मकान कोई न था

छोड़ कर duniya ,akele चल दिए
hamsafar या kaarvan कोई न था

स्वप्न की कोई haqiqat थी कहाँ
बस tasavvur था निशान कोई न था

योगेश स्वप्न

2 टिप्‍पणियां:

"अर्श" ने कहा…

इस बारी तो सच में मज़ा आगया बहोत खूब बहोत सुंदर ... अपनी पचासवी पोस्ट पे आपका स्नेह और आशीर्वाद चाहूँगा ....

अर्श

बेनामी ने कहा…

क्यूँ किसी से प्यार की उम्मीद की
बस उधारी थी जमा कोई न था

कर दिया खाली किराये का मकान
लामकां थे हम मकान कोई न था

waah bahut hi badhiya badhai