औपचारिक ही सही, कुछ तो है बात मगर
मेरा हर साल जनम दिन पे बधाई देना
हाले दिल पूछ कर उनका यूँहीं बस चल देना
जैसे रोते हुए बच्चे को मिठाई देना
जो "तुम्हारे लिए" था तुमको थमा कर तोहफा
दिल को बस चीर गया तुमको विदाई देना
मेरी सबसे बड़ी दौलत हैं मेरे गीत ग़ज़ल
मेरे मरने पे उन्हें सारी कमाई देना
दिल की आवाज़ को वो फिर भी पहचानेंगे
होगा जब बंद उन्हें सुनना दिखाई देना
उनकी चाहत है लगें पंख मेरे गीतों को
मुझको हर दर्द हरेक पीर पराई देना
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5 टिप्पणियां:
स्वप्न जी बहोत ही संजीदा लिखा है आपने ये ग़ज़ल तो वाह बहोत खूब....ढेरो बधाई आपको साहब ...
योगेश जी
बहुत उम्दा रचना . लिखते रहिये . शुभकामनाओ के साथ.
महेंद्र मिश्रा
जबलपुर.
बहुत ही अच्छे और मधूर लेख प्रस्तुत करते हैं आप, दिल की गहराई से बहुत बहुत धन्यवाद। खूब लिखें और लिखते रहें, हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं, और हम ईश्वर से आपकी सफलता के लिए प्रार्थना करते है।
बहुत उम्दा एवं बेहतरीन. बधाई एवं शुभकामनाऐं.
दिल की आवाज़ को वो फिर भी पहचानेंगे
होगा जब बंद उन्हें सुनना दिखाई देना
उम्दा लिखा है, ये शेर तो ख़ास है मज़ा आ गया
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