मुझसे मिलकर ही मिटेंगी आपकी सब उलझनें
सब गिले-शिकवे मिटाने आइये आ जाइए
हैं खफा हमसे अगर तो क्यूँ खफा हैं बोलिए
दिलकी सब हमको सुनाने आइये आ जाइए
मुझसे...............................................
दिल की बस्ती के उजड़ जाने का है हमको मलाल
दिल से उजड़ा दिल मिलाने आइये आ जाइए
मुझसे...................................................
कर दीं सब रब के हवाले हमने अपनी रंजिशें
याद जन्मों की भुनाने आइये आ जाइए
मुझसे........................................................
आओ अब मिलकर चलेंगें दूर दुनिया से कहीं
प्रीत का अमृत पिलाने आइये आ जाइए
मुझसे...........................................................
बाद-ऐ-मुद्दत गले मिलकर आओ अब रोएँ रुलाएं
"स्वप्न" के टुकड़े सजाने आइये आ जाइए
मुझसे........................................................
--------------------------------------
6 टिप्पणियां:
मुझसे मिलकर ही मिटेंगी आपकी सब उलझनें
सब गिले-शिकवे मिटाने आइये आ जाइए
yogesh ji
bahut badhiya manamohak rachana .
हैं खफा हमसे अगर तो क्यूँ खफा हैं बोलिए
दिलकी सब हमको सुनाने आइये आ जाइए
मुझसे...............................................badhai
मक्ता तो कमाल का लिखा है आपने मेरे नए ग़ज़ल पे आपकी उपस्थति लाज़मी है स्वप्न साहब..
अर्श
सहज और सरल कविता पर आपको बधाई
---मेरा पृष्ठ
गुलाबी कोंपलें
हैं खफा हमसे अगर तो क्यूँ खफा हैं बोलिए
दिलकी सब हमको सुनाने आइये आ जाइए
bahut khoob...!
'दिल की बस्ती के उजड़ जाने का है हमको मलाल
दिल से उजड़ा दिल मिलाने आइये आ जाइए'
-सुंदर पंक्तियाँ.
एक टिप्पणी भेजें