नव वर्ष २०१० की हार्दिक मंगलकामनाएं.
ईश्वर २०१० में आपको और आपके परिवार को सुख समृद्धि , धन वैभव ,शांति, भक्ति, और ढेर सारी खुशियाँ प्रदान करें .
योगेश वर्मा "स्वप्न"
अभी ०५-०६-२००९ को बेटे के कॉलेज से सम्बंधित किसी कार्य वश जयपुर जाने का अवसर मिला. शाम को एक मंदिर में गए भीड़ भाड़ के बीच एक शख्स जो सीनियर सिटिज़न थे लगभग ६५-७० वर्ष के, एक कार के पास खड़े कार वाले से कुछ बात कर रहे थे, कुछ क्षणों में कार मालिक ने कुछ रूपये उन्हें दिए और वो एक तरफ हो गए,स्पष्ट रूप से भीख ही थी क्यूंकि दो तीन लोगों से इसी तरह भीख मांगी थी, वे सज्जन किसी भले परिवार से लग रहे थे, मुझसे रहा न गया , क्षमा मांगते हुए उनसे पूछ बैठा उन्होंने अश्रु भरे नेत्रों से जो जवाब मुझे दिए, उन सभी को कविता/गीत के माध्यम से व्यक्त करने की कोशिश की है कहाँ तक सफल रहा हूँ ये तो आप ही देखें, मेरी उनसे क्या बात हुई होगी आप स्वयं समझ जायेंगे सच मानिए ये उन्ही सज्जन के विचार हैं, मैंने बस कविता में ढाल दिए हैं.
सोच रहा हूँ ऐसा कोई गीत बनाऊं
ऐसा कोई गीत ह्रदय से फूटा हो
लगता हो ज्यों ह्रदय किसी का टूटा हो
किसी चोर ने प्यार किसी का लूटा हो
बिना वजह या कोई किसी से रूठा हो
सोच रहा हूँ................................
ऐसा कोई गीत प्यार से सराबोर हो
खींच लाये जो तुमको लेकिन बिना डोर हो
जग की सारी प्रेम सुधा का जो निचोड़ हो
मेरे अनुरागी जीवन का नया मोड़ हो
सोच रहा हूँ.................................
ऐसा कोई गीत आज तक बना न हो
जिसको सुन आंसू का दरिया थमा ना हो
साया बन कर साथ चले तुम तनहा न हो
भूल पाओ तुम ऐसा कोई लम्हा न हो
सोच रहा हूँ....................................