उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

शुक्रवार, 12 दिसंबर 2008

आसमान छूने को

आसमान छूने को पंछी उड़ चला
और गगन की दूरियां कम हो गईं
विश्वास का बल है अभी परवाज़ में
है क्षितिज के पार तक उसकी नज़र

योगेश स्वप्न

सोमवार, 8 दिसंबर 2008

गिला.............

हमें बेशक भुला दें वो भुलायेंगे  न उनको हम


गिला उनसे करें क्यूँ हम, यूँही आहें भरें क्यूँ हम
मुहोब्बत गर नहीं उनको तो फिर उल्फत करें क्यूँ हम

हुई नाकाम सब कोशिश , दिलों में भी नहीं रंजिश
नहीं मरता कोई हम पर, किसी पर फिर मरें क्यूँ हम

उन्हें चाहत जो मिलने की अगर होती तो मिल जाते
हमें दीदार हो उनका , कोई ख्वाहिश करें क्यूँ हम

जुदाई की उन्हें परवाह नहीं न गम बिछुड़ने का
तो फिर उनकी जुदाई में हम ही आँखें करें क्यूँ नम

अभी तक आस थी थोड़ी मगर वो आस भी तोडी
स्वप्न का खून कर डाला सितम  आँखें हुईं बेदम

अगर वो सुन रहे हैं तो उन्हें कुछ कान में कह दूँ
हमें बेशक भुला दें वो भुलायेंगे  न उनको हम

**********