उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

प्रीत की पहली निशानी याद है


चलिए आज  VALENTINE DAY  पर कुछ पुरानी यादें ताज़ा करते हुए निम्न दो रचनाएँ प्रस्तुत कर रहा हूँ . हालाँकि  VALENTINE DAY  का  चलन कुछ ही वर्ष पूर्व शुरू हुआ है, तो समय की धारा के साथ बहते हुए  क्यूँ न इसका आनंद लें.


प्रीत की पहली निशानी याद है



प्रीत की पहली निशानी याद है
प्यार से कहना "ओ जानी" याद है

खूबसूरत हुस्न में बाँकी अदा
और मचलती वो जवानी याद है

इश्क में डूबी ,पिघलती इक शमा
शोख औ नटखट दिवानी याद है

वो मिलन की बेकरारी, वो कशिश
वो तड़प दिल की रूहानी याद है

बात करते और लखते चाँद को
रात जो बीती सुहानी याद है

दिल्लगी ही दिल्लगी में दिल गया
दिल की "दिल्ली" राजधानी याद है

देखकर उसको जुदाई  के  समय
आँख से झरता  वो पानी याद है

"स्वप्न" कैसे भूल सकता है उन्हें
दिल को जो बातें पुरानी याद हैं.



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क्या कहें ?


क्या कहें कुछ आज, कहने को नहीं है
कुछ गिला या कोई, शिकवा भी नहीं है
कौन तोड़े ,मौन, पहले, थी प्रतीक्षा
जिसके चलते हम कहीं , अब वो कहीं है

जिंदगी भर प्यार से ,जिसको पुकारा
दे दुआएं दिल ने, जिस दिल को दुलारा
वो जहाँ था , आज तक भी तो वहीँ है
क्या कहें कुछ आज..........................

दिल तो कहता ,वो नहीं भूलेंगे हमको
अब भी लगता है, वो आ छू लेंगे हमको
पर नहीं आयेंगे वो, ये ही सही है
क्या कहें कुछ  आज.......................

कितना, किसको प्यार करता है कोई, क्यूँ?
कितना दिल को वार करता है कोई क्यूँ?
इसका  उत्तर दे,   बही, ऐसी कहीं  है?
क्या कहें कुछ  आज.......................

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