आज सुबह मेरे परम मित्र म.र.गुप्ता जी का एक समस मेसेज आया मेसेज इस प्रकार था
बोलती है दोस्ती, छुपता ई प्यार
हंसाती ई दोस्ती रुलाता है प्यार
मिलाती है दोस्ती जुदा करता है प्यार
फिर भी क्यों दोस्ती छोड़ कर लोग करते हैं प्यार...............
इस समस को पाकर कुछ पंक्तियन लिखीं आप भी गौर फरमाएं ...
दोस्ती बस नाम की वो दोस्ती किस काम की
दोस्ती वो दोस्ती जो है सुदामा श्याम की
प्यार है अपनी जगह दोस्ती अपनी जगह
रुतबा बड़ा है दोस्ती का प्यार से, कुछ है वजह
रुक्मिणी को छोड़ भागे थे कन्हाई
है सुदामा द्वार पर जाऊं लेवाई
हाँ,परन्तु प्यार दोनों में छुपा है
प्यार की खातिर भी ताज लुटा है
बस प्यार में ही न कोई आंसू बहाता है
दोस्त भी जब दूर होता है रुलाता है
योगेश swapn
बोलती है दोस्ती, छुपता ई प्यार
हंसाती ई दोस्ती रुलाता है प्यार
मिलाती है दोस्ती जुदा करता है प्यार
फिर भी क्यों दोस्ती छोड़ कर लोग करते हैं प्यार...............
इस समस को पाकर कुछ पंक्तियन लिखीं आप भी गौर फरमाएं ...
दोस्ती बस नाम की वो दोस्ती किस काम की
दोस्ती वो दोस्ती जो है सुदामा श्याम की
प्यार है अपनी जगह दोस्ती अपनी जगह
रुतबा बड़ा है दोस्ती का प्यार से, कुछ है वजह
रुक्मिणी को छोड़ भागे थे कन्हाई
है सुदामा द्वार पर जाऊं लेवाई
हाँ,परन्तु प्यार दोनों में छुपा है
प्यार की खातिर भी ताज लुटा है
बस प्यार में ही न कोई आंसू बहाता है
दोस्त भी जब दूर होता है रुलाता है
योगेश swapn