उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

शनिवार, 5 सितंबर 2009

आरती अफसर जी की

धार्मिक भावनाओं के वशीभूत एक और उपयोगी/ धार्मिक , कई वर्ष पहले लिखी रचना.

ॐ जय अफसर देवा, स्वामी जय अफसर देवा
तुम्हरे चमचे बनकर खाते सब मेवा,
ॐ जय अफसर देवा................

तुम्हरी नज़रें टेढी, सत्यानाश करें
दर दर पर भटकायें, भूख और प्यास हारें
ॐ जय अफसर देवा................

तुम्हरी कृपा मेरे स्वामी जिस पर हो जाए
वो आफिस में मस्ती से आए , जाए,
ॐ जय अफसर देवा................

एक हथियार तुम्हारी, बाल पेन ऐसी,
मिनटों में कर देती ऐसी की तैसी
ॐ जय अफसर देवा................

बड़े बड़े दिग्गज भी तुमसे भय खाते
हार मान कर तुम्हरे चरणों में आते
ॐ जय अफसर देवा................

बुद्धि को कभी अपनी, काम नहीं लाते
चुगलखोर की चुगली हंसकर अपनाते
ॐ जय अफसर देवा................

चमचों के गैंग में अपने मुझको भी डालो
शरण पड़ा प्रभु तुम्हरी, मुझको अपना लो
ॐ जय अफसर देवा................

चमचा बनते ही सब पाप मुक्त होते
जो न बन पाते वो जीवन भर रोते
ॐ जय अफसर देवा................

मेरी खताएं स्वामी , माफ़ सभी कर दो
मैं चमचा बन जाऊं , बस ऐसा वर दो
ॐ जय अफसर देवा................

ॐ जय अफसर देवा, स्वामी जय अफसर देवा
तुम्हरे चमचे बनकर खाते सब मेवा,
ॐ जय अफसर देवा................

शुक्रवार, 4 सितंबर 2009

ख्वाब और हकीकत का, मेल है दुनिया

ख्वाब और हकीकत का, मेल है दुनिया
खुदा का निराला ये, खेल है दुनिया

कोई रहा है , कोई जा रहा है
सभी हैं मुसाफिर, रेल है दुनिया

अगर जल रहा है ,दीपक तो समझो
है ज्योति उसी की,तेल है दुनिया

जो मुलजिम होते, कभी भी ना आते
हैं मुलजिम खुदा के, जेल है दुनिया.

कीमत यहाँ गिर गई, आदमी की
सस्ते में बिकता है ,सेल है दुनिया

वहीँ पर पड़ी है, ज़रूरत खुदा की
जहाँ कुछ भी पाने में, फ़ेल है दुनिया