उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

सोमवार, 20 अप्रैल 2009

सोच रहा हूँ....

एक बार फिर आप सभी का जो मेरी रचनाएँ पढ़ते हैं/सराहते हैं और मुझे नया लिखने के लिए अपनी टिप्पणी द्वारा प्रेरित करते हैं, हार्दिक धन्यवाद.प्रस्तुत है एक गीत पुरानी डायरी से. आशा है आप पसंद करेंगे।

सोच रहा हूँ ऐसा कोई गीत बनाऊं

जिसको सुन तुम रुक ना पाओ आ जाओ

ऐसा कोई गीत ह्रदय से फूटा हो

लगता हो ज्यों ह्रदय किसी का टूटा हो

किसी चोर ने प्यार किसी का लूटा हो

बिना वजह या कोई किसी से रूठा हो

सोच रहा हूँ................................


ऐसा कोई गीत प्यार से सराबोर हो

खींच लाये जो तुमको लेकिन बिना डोर हो

जग की सारी प्रेम सुधा का जो निचोड़ हो

मेरे अनुरागी जीवन का नया मोड़ हो

सोच रहा हूँ.................................


ऐसा कोई गीत आज तक बना न हो

जिसको सुन आंसू का दरिया थमा ना हो

साया बन कर साथ चले तुम तनहा न हो

भूल पाओ तुम ऐसा कोई लम्हा न हो

सोच रहा हूँ....................................

योगेश स्वप्न