उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

शनिवार, 23 जनवरी 2010

छिपा हुआ जो एक गुण , सिर्फ उसी को देख

छिपा हुआ जो एक गुण , सिर्फ उसी को देख
 
झूठे धोखेबाज़ को, लानत औ धिक्कार
लेनदार होवें खड़े,आकर जिसके द्वार

कसमें खा , फिर जाए जो, कितना है वो नीच
करिए चौराहे उसे, नंगा सबके बीच

जो दाता के नाम पर, धोखा देता जाए
निश्चय ही खा जायेगी ,उसको सबकी हाय

सबका पैसा ऐंठ कर, ठाठ करे जो खूब
एक दिन ऐसा आएगा, घास पाए ना दूब

बार बार खाता कसम , नहीं करेगा पाप
सत्यनारायण कथा-सम,उसे मिलेगा शाप

लेना  लेना आ गया , देना भी तो सीख
दिया नहीं, परलोक में, तुझे मिले ना भीख

कीमत हर इंसान की ,पैसे से ना तोल
धर्म और ईमान ही, दुनिया में अनमोल

कमियाँ हर इंसान में , होती सदा  अनेक
छिपा हुआ जो एक गुण , सिर्फ उसी को देख

घुमा फिरा कर बात सब ,धर्म कह रहे एक
छोड़ कपट छल छिद्र को , बन्दे बन जा नेक

शीशा होता साफ़ जब, तभी दिखे तस्वीर
मन का शीशा साफ़ कर , मन में ही " रघुबीर"

****************