गीत को पंख लग गए होते
तुम जो एक बार गुनगुना जाते
तुमको आना न था सदा पे अगर
एक उम्मीद तो जगा जाते
यूँ अंधेरों में छोड़ जाना था
एक दीपक कहीं जला जाते
ख्वाब में आ के ही कभी मिलते
एक पल तो हमें सुला जाते
अश्क भी आँख से जुदा न हुए
काश जाते हुए रुला जाते
देना था गर ज़हर जुदाई का
अपने हाथों से तो पिला जाते
जो किया तुमने गरचे हम करते
मेरा दावा है तिलमिला जाते
तुम जो एक बार गुनगुना जाते
तुमको आना न था सदा पे अगर
एक उम्मीद तो जगा जाते
यूँ अंधेरों में छोड़ जाना था
एक दीपक कहीं जला जाते
ख्वाब में आ के ही कभी मिलते
एक पल तो हमें सुला जाते
अश्क भी आँख से जुदा न हुए
काश जाते हुए रुला जाते
देना था गर ज़हर जुदाई का
अपने हाथों से तो पिला जाते
जो किया तुमने गरचे हम करते
मेरा दावा है तिलमिला जाते