उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

मंगलवार, 2 जून 2009

एक गीत अपने देश के लिए

अब तो अपने भारत का भी , दुनिया लोहा मान रही है
नई नज़र से नए सिरे से , भारत को पहचान रही है


लाखों दाग चाँद में लेकिन, चाँद अभी भी क्यूँ भाता है
सबको ललक उसे पाने की, हर कोई क्यूँ अपनाता है
ऐसी हस्ती, ऐसी शक्ति, अब सबका अरमान रही है

अब तो अपने भारत का..........................................

देता आया अब तक सब को, अब भी देना है जारी
भारत से भारत-रस लेना , दुनिया की है लाचारी
गुरु था वो, गुरुतम अब होगा, भारत की जो शान रही है

अब तो अपने भारत का........................................

अब सम्रद्ध देश है अपना, नित नूतन हैं अभिलाषा
आसमान छू लेगा एक दिन, हमको है पूरी आशा
भारत माता सोने की, चिडिया बनने की ठान रही है।

अब तो अपने भारत का ......................................