जिंदगी में प्यार की सबको ज़रुरत है
हर किसी के मन बसी एक खूब सूरत है
चल किसी मोहताज़ की कुछ मदद कर दें
मत घड़ी को देख ये अच्छा मुहूरत है
हर बशर एक सा है मिटटी से बना एक
हर बशर में एक ही रब की तो मूरत है
मैं कहाँ हस्ती कहाँ मेरी जो बोलूं
रब के बारे में , कहाँ मेरी ये जुर्रत है?
जोड़ना गर चाहता है उससे नाता
दे सदा उसको अगर थोडी भी हसरत है
http://swapnyogeshverma.blogspot.com/2009/10/blog-post_10.html "तुम्हारे लिए" भी देखें.
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