उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

शनिवार, 10 जनवरी 2009

औपचारिक ही सही................

औपचारिक ही सही, कुछ तो है बात मगर
मेरा हर साल जनम दिन पे बधाई देना

हाले दिल पूछ कर उनका यूँहीं बस चल देना
जैसे रोते हुए बच्चे को मिठाई देना

जो "तुम्हारे लिए" था तुमको थमा कर तोहफा
दिल को बस चीर गया तुमको विदाई देना

मेरी सबसे बड़ी दौलत हैं मेरे गीत ग़ज़ल
मेरे मरने पे उन्हें सारी कमाई देना

दिल की आवाज़ को वो फिर भी पहचानेंगे
होगा जब बंद उन्हें सुनना दिखाई देना

उनकी चाहत है लगें पंख मेरे गीतों को
मुझको हर दर्द हरेक पीर पराई देना

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गुरुवार, 8 जनवरी 2009

मेरी प्रीत का झरना....................



मेरी प्रीत का झरना , बहता रहा सदा



ना जाने क्यूँ , तुमने गागर भरी नहीं





पत्थर पत्थर सर को पटका, जंगल जंगल भूला भटका



तुम अपनी निष्ठुरता देखो, नज़र इधर तक करी नहीं



मेरी प्रीत का........................................................





बीत चुके हैं साल सैकडों, बीत जायेंगे साल हज़ार



अपनी गागर में भर लो बस ,हर दम होगी यही पुकार



जन्म जन्म के बाद मिलोगे, तब भी यही कहूँगा मैं



खोज रहा हूँ अब भी तुमको , मेरी निष्ठां मरी नहीं



मेरी प्रीत का.........................................................





खारा नहीं कहीं से हूँ मैं ,बूँद बूँद बेशक चख लो



झूम उठोगे अजब नशे में, एक बार दिल में रख लो



हाँ , अमृत की बूँद सही , गंगा जल सा पावन हूँ



स्वांति की एक बूँद सही पर, सावन की हूँ झरी नहीं



मेरी प्रीत का............................................................











बुधवार, 7 जनवरी 2009

मुझको अपने...................

मुझको अपने सपनों में ,आने की इजाज़त दे दो ना

घड़ी दो घड़ी बात करूँ , इतनी तो मोहलत दे दो ना

मुझको............................................................


तेरी यादों के चंगुल से , कुछ देर निकल बहार आऊँ

दूर करूँ कुछ शिकवे गिले, इतनी तो फुर्सत दे दो ना

मुझको............................................................


कब से पड़ा हुआ दोज़ख में , तेरे लिए दिल की मलिका

तेरे दिल में जगह मिले, इतनी तो जन्नत दे दो ना

मुझको...........................................................


मैंने तुझसे प्यार किया है , दिल जाने या रब जाने

तुझसे भी ये कह पाऊँ , बस इतनी हिम्मत दे दो ना

मुझको................................................................


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मंगलवार, 6 जनवरी 2009

बेरुखी अच्छी नहीं...........

बेरुखी अच्छी नहीं होती सदा मेरे हुज़ूर
क्यूँ चुराते हो निगाहें , छोड़ दो सारा गुरूर

दिल से दिल की बात कर लो , प्यार दो और प्यार लो
छोड़ कर सारे गिले , भूल कर सारे kusoor

जिंदगी है चार दिन की , फिर मिलें या न मिलें
ढल न जाए उम्र सारी , ढल न जाए ये सुरूर

दिल तड़प के दे रहा है ये सदा , आ जाओ ना
दिल का शीशा कर ना देना बेदिली से चूर चूर-२

दूर जाते हो तो जाओ, है मगर दावा मेरा
तुम को हंस कर मेरी बाँहों में ,समाना है ज़रूर।

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सोमवार, 5 जनवरी 2009

आपके नज़दीक आने का......................

आपके नज़दीक आने का बहाना चाहिए
जिसमें बुन लूँ आपको वो ताना बाना चाहिए
दोस्त जिसमें तुम ही तुम हो और तुम्हारी बात हो
और तुमको ही सुनाऊं वो तराना चाहिये
आपके.............................................

कैसी जिद है आपकी कुछ सोच कर तो बोलिए
इश्क-ऐ-हकीकी या मिजाजी है अजी कुछ खोलिए
सामने मैं हूँ मगर तुमको दीवाना चाहिए
आपके .........................................................

जाम-ऐ-उल्फत पीते -२ पी गए आब-ऐ-हयात
मैं समाऊँ आप में करते हो क्यूँ छोटी सी बात
अब तो प्रियवर आपको मुझ में सामना चाहिए
आपके....................................................

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