उपरोक्त शीर्षक चित्र श्री श्री राधा श्याम सुंदर , इस्कान मंदिर वृन्दावन, तिथि 15.04.2010 के दर्शन (vrindavan darshan से साभार ).

रविवार, 14 जून 2009

मेरे श्याम..........

बहुत हो चुकी आँख मिचौनी , दूरी आज मिटाओ श्याम
मुझसे आकर मिलो यहाँ या, मुझको पास बुलाओ श्याम
मेरे श्याम, मेरे श्याम,मेरे श्याम,मेरे श्याम,मेरे श्याम

दूर -दूर रहते रहते तो दूरी बढती जाती है
तुम तो आते नहीं तुम्हारी,यादें बहुत सताती है
दिव्य नेत्र दे दो आँखों से पर्दा ज़रा हटाओ श्याम
मेरे श्याम.........................................................

दूर बज रही वंशी की धुन मुझको पास बुलाती है
कभी सुनाई देती मुझको और कभी खो जाती है
आओ मेरे निकट बैठ कर वंशी आज बजाओ श्याम
मेरे श्याम......................................................

भव सागर में भटक-२ कर देखा सब कुछ झूठा है
मोहन तेरी शरण में सुख है, सुख का सपना टूटा है
कृपा करो मुझपर भी अब तो अपनी शरण लगाओ श्याम
मेरे श्याम.....................................................

मेरी तो अभिलाषा मोहन अब तुम में मिल जाना है
थका -थका नदिया का जल हूँ, सागर आज समाना है
सागर में मिलने दो मुझको , "मैं" को आज मिटाओ श्याम
मेरे श्याम...................................................